

भगवान हनुमान को संकट मोचन कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों के समस्त कष्टों को हर लेते हैं। हनुमान जी की भक्ति और उनके मंत्रों का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। संकट मोचन स्तोत्र और संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ विशेष रूप से कलियुग में अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। इस लेख में हम “संकट मोचन लिरिक्स” के साथ-साथ इसके पाठ की विधि और लाभों की जानकारी देंगे।

संकट मोचन लिरिक्स
बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारों॥
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टार॥
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो॥
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो॥
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो॥
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो॥
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो॥
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो॥
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो॥
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो॥
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो॥
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो॥
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो॥
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो॥
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो॥
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥
॥ दोहा॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर॥
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान॥
संकट मोचन हनुमान जी की भक्ति करने से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं। यदि आप भी अपने जीवन के संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस स्तोत्र का नित्य पाठ करें और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें। जय हनुमान! 🚩
संकट मोचन स्तोत्र की विधि
- शुद्धता और स्थान – पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक शांत स्थान पर बैठें।
- दीप जलाना – हनुमान जी के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान श्रीराम का ध्यान करें।
- माला का उपयोग – यदि संभव हो तो संकट मोचन स्तोत्र का पाठ रुद्राक्ष की माला से करें।
- विशेष दिन – मंगलवार और शनिवार को इस पाठ को करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- भक्ति और श्रद्धा – पाठ करते समय मन को एकाग्र करें और पूर्ण श्रद्धा से हनुमान जी की स्तुति करें।
संकट मोचन स्तोत्र के लाभ
- संकट नाश – जीवन में आने वाली समस्त बाधाएँ दूर होती हैं।
- शत्रु बाधा मुक्ति – यह स्तोत्र शत्रुओं के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – हनुमान जी की कृपा से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ – रोगों से मुक्ति और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए यह पाठ अत्यंत प्रभावी है।
- कार्य सिद्धि – जो व्यक्ति अपने कार्यों में लगातार बाधाओं का सामना कर रहा हो, उसके लिए यह पाठ अत्यंत शुभ होता है।