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पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स: दिव्य रक्षा कवच का चमत्कारी प्रभाव

पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स
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हनुमान जी की पंचमुखी स्वरूप की उपासना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के जीवन की समस्त बाधाएँ दूर हो जाती हैं। इनका कवच, जो पंचमुखी हनुमान कवच के नाम से प्रसिद्ध है, विशेष रूप से रक्षा, सिद्धि और शत्रु नाश के लिए प्रभावी माना जाता है। इस लेख में हम आपको पंचमुखी हनुमान कवच के महत्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स


॥श्री गणेशाय नमः॥

ॐ अस्य श्रीपञ्चमुख हनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि:

॥गायत्री छंद:॥

पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता। ह्रीं बीजम्।

॥श्रीं शक्ति:॥

क्रौं कीलकं। क्रूं कवचं। क्रैं अस्त्राय फट्।

॥श्री गरुड़ उवाच॥

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर,
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमतः प्रियम्।

पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्,
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।

पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभ,
दंष्ट्रा कराल वदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्।

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्,
अत्युग्र तेज वपुष् भीषणं भय नाशनम्।

पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्,
सर्व नाग प्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।

उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्,
पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्,
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्।


जघान शरणं तत् स्यात् सर्व शत्रु हरं परम्,
ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।

खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्,
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं।


भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्,
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्,
दिव्य माल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।

सर्वाश्‍चर्यमयं देवं हनुमद्विश्‍वतो मुखम्,
पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं।
शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्,
पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं।
पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।

मर्कटेशं महोत्साहं सर्व शत्रु हरं परं,
शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर।

ॐ हरिमर्कट मर्कट मंत्र मिदं परि लिख्यति लिख्यति वामतले,
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता।

॥ॐ हरि मर्कटाय स्वाहा॥

ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरुडाननाय सकलविषहराय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा।
ॐ श्री पंचमुख हनुमंताय आंजनेयाय नमो नमः॥

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पंचमुखी हनुमान कवच का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में अद्भुत परिवर्तन आते हैं। यह कवच आत्मबल, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करता है। यदि आप भी हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिव्य कवच का पाठ करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर दें।

पंचमुखी हनुमान कवच की विधि

इस कवच को पढ़ने के लिए एक शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन करें। इसे प्रातः स्नान के बाद, लाल आसन पर बैठकर, मन को शांत कर और हनुमान जी का ध्यान करते हुए पढ़ें। नियमित रूप से इस कवच का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और आत्मबल बढ़ता है।

पंचमुखी हनुमान कवच के लाभ

  • रक्षा कवच – यह कवच नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से रक्षा करता है।
  • शत्रु नाश – यदि कोई शत्रु बाधा उत्पन्न कर रहा हो, तो इस कवच का पाठ करने से शत्रु शांत हो जाते हैं।
  • सफलता एवं समृद्धि – व्यापार और करियर में सफलता पाने के लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है।
  • भय व बाधा मुक्ति – मानसिक तनाव और भय को दूर करने के लिए पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ किया जाता है।
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Aditya