शांतादुर्गा देवी गोवा की प्रमुख आराध्या देवी हैं, जिन्हें शांति और शक्ति की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। यह आरती विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है जो अपने जीवन में संतुलन, मानसिक शांति और शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। Shanta Durgechi Aarti न केवल भक्त के मन को शुद्ध करती है, बल्कि घर के वातावरण में भी दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। आइए जानते हैं इस पावन आरती का सही ढंग, लाभ और उसका महात्म्य।
आरती
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
भूकैलासा ऐसी ही कवला नगर,
शांतादुर्गा तेथे भक्तभवहारी।
असुराते मर्दुनिया सुरवरकैवारी,
स्मरती विधीहरीशंकर सुरगण अंतरी।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
प्रबोध तुझा नव्हे विश्वाभीतरी,
नेति नेति शब्दे गर्जती पै चारी।
साही शास्त्रे मथिता न कळीसी निर्धारी,
अष्टादश गर्जती परी नेणती तव थोरी।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
कोटी मदन रूपा ऐसी मुखशोभा,
सर्वांगी भूषणे जांबूनदगाभा।
नासाग्री मुक्ताफळ दिनमणीची प्रभा,
भक्तजनाते अभय देसी तू अंबा।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
अंबे भक्तांसाठी होसी साकार,
नातरी जगजीवन तू नव्हसी गोचर।
विराटरूपा धरूनी करीसी व्यापार,
त्रिगुणी विरहीत सहीत तुज कैचा पार।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
त्रितापतापे श्रमलो निजवी निजसदनी,
अंबे सकळारंभे राका शशीवदनी।
अगमे निगमे दुर्गे भक्तांचे जननी,
पद्माजी बाबाजी रमला तव भजनी ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
Shanta Durgechi Aarti एक दिव्य माध्यम है माँ शांतादुर्गा की कृपा प्राप्त करने का। जो भक्त सच्चे भाव से इस आरती को विधिपूर्वक करते हैं, उन्हें जीवन में शांति, सफलता और सुरक्षा प्राप्त होती है। माँ शांतादुर्गा के चरणों में श्रद्धा से की गई आरती हमारे जीवन को उज्जवल और संतुलित बनाती है। आप भी इस अद्भुत आरती का लाभ लें और अपने परिवार के साथ माँ की कृपा के अधिकारी बनें।
आरती करने की विधि
- सुबह या शाम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- देवी शांतादुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने आसन बिछाकर बैठें।
- पूजा की थाली में दीया, अगरबत्ती, फूल, चावल, नैवेद्य (मीठा) रखें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- घंटी बजाते हुए आरती शुरू करें।
- आरती के साथ कपूर या दीप को गोल घुमाएं।
- अंत में आरती को सभी उपस्थित लोगों के सामने दिखाएं और प्रसाद वितरण करें।
लाभ
- मानसिक शांति – इस आरती का नियमित पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है।
- पारिवारिक सुख – घर में सुख-शांति और आपसी सामंजस्य बनाए रखने में सहायक।
- शत्रु नाश – नकारात्मक शक्तियाँ और शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – आरती से साधक की साधना प्रबल होती है और भक्ति में स्थिरता आती है।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण होता है।