गायत्री मंत्र वेदों की आत्मा है और इसे ‘महा मंत्र’ के रूप में जाना जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धि का भी स्रोत है। हजारों वर्षों से ऋषियों और योगियों द्वारा इसका जाप किया जाता रहा है, जिससे यह मंत्र भारतीय संस्कृति की जड़ों में समाया हुआ है। इस लेख में हम आपको gayatri mantra lyrics के साथ इसकी विधि और लाभ भी बताएंगे।
गायत्री मंत्र लिरिक्स
ॐ भूर्भुवः स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो,
देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि वह दिव्य ऊर्जा है जो हमारे अंतःकरण को प्रकाशित करती है। जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका जाप करता है, उसके जीवन में शुभता और ज्ञान की वृद्धि अवश्य होती है। Gayatri Mantra Lyrics से जुड़े इस लेख के माध्यम से हमने आपको इसका सार, विधि और लाभ बताया है। आइए, हम सब मिलकर इस दिव्य मंत्र का सुमिरन करें और अपने जीवन को प्रकाशमय बनाएं।
जाप की विधि
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शांत और पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- आसन का उपयोग करें (कुशासन, ऊनी आसन आदि)।
- दोनों हाथ जोड़कर गायत्री माता का ध्यान करें।
- त्रिकाल संध्या (प्रातः, दोपहर, संध्या) में जाप करना श्रेष्ठ होता है।
- जपमाला (रुद्राक्ष/चंदन) से 108 बार जाप करें।
- जाप के समय ध्यान शांत और मन स्थिर रखें।
- जाप के बाद जल में सूर्य को अर्घ्य दें।
मंत्र के लाभ
- मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- नकारात्मक विचारों और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- बुद्धि और स्मरण शक्ति तीव्र होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से रक्षा होती है।
- आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
- संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।