अन्नपूर्णा माता की आरती: जीवन में समृद्धि और अन्नवृद्धि का आह्वान

अन्नपूर्णा माता की आरती
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अन्नपूर्णा माता को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका नाम ही इस बात का प्रतीक है कि वे अन्न से पूर्ण करती हैं , न सिर्फ तन का, बल्कि आत्मा का भी पोषण करती हैं। माता की आरती करने से जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं रहती और मन, मस्तिष्क तथा घर-परिवार में शांति बनी रहती है। इस लेख में हम अन्नपूर्णा माता की आरती के महत्व, सही विधि और उससे होने वाले लाभों पर प्रकाश डालेंगे।

Annapurna Mata Ki Aarti


॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥

!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम !
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ,

!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम !
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम
,
!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम !
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ,

!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम !
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ,

!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम !
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ,

!! बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम !!

॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥

अन्नपूर्णा माता की आरती न केवल भक्त के जीवन में अन्न और समृद्धि का संचार करती है, बल्कि आत्मिक संतोष भी प्रदान करती है। जो भी भक्त श्रद्धा और विधिपूर्वक इस आरती का पाठ करता है, उसके जीवन में माता की कृपा सदैव बनी रहती है। यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में कभी अन्न की कमी न हो, तो प्रतिदिन माता की आरती करें और अपने जीवन को पुण्य और समृद्धि से भरें।

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आरती करने की विधि

  1. सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान को साफ करके माता अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक (घी का) और अगरबत्ती जलाएं।
  4. माता को ताजे फूल, अक्षत, कुमकुम और मिठाई अर्पित करें।
  5. दोनों हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक आरती करें।
  6. घंटी बजाते हुए या धीमे स्वर में आरती गाएं।
  7. आरती के बाद प्रसाद सबमें वितरित करें।

आरती के लाभ

  • घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती।
  • रसोई और भंडार गृह हमेशा भरे रहते हैं।
  • पारिवारिक क्लेश और आर्थिक तंगी दूर होती है।
  • माता की कृपा से बुद्धि, विवेक और निर्णयशक्ति में वृद्धि होती है।
  • दरिद्रता और दुर्भाग्य का नाश होता है।