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समाज के लिए आइना है श्याम बेनेगल की कालजयी फिल्में, ओटीटी पर उपलब्ध

समाज के लिए आइना है श्याम बेनेगल की कालजयी फिल्में, ओटीटी पर उपलब्ध
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मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल का निधन 23 दिसंबर को हुआ, और उनकी यह चुपचाप विदाई बॉलीवुड और सिनेमा प्रेमियों के लिए एक गहरी हानि है। श्याम बेनेगल ने हिन्दी आर्ट सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपनी फिल्मों के जरिए समाज को आईना दिखाने का काम किया। उनकी फिल्मों में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को बड़े ही सटीक तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिससे न केवल फिल्मी दुनिया, बल्कि दर्शक वर्ग पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। बेनेगल की फिल्मों की विशेषता यह थी कि वे केवल मनोरंजन नहीं देतीं, बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती थीं।

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श्याम बेनेगल का निधन 90 वर्ष की आयु में हुआ। वह पिछले दो दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और उनके निधन के बाद फिल्म इंडस्ट्री शोक में डूब गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित फिल्म जगत के तमाम बड़े नामों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बेनेगल के निर्देशन में बनी फिल्में न केवल कला और साहित्य के मापदंडों पर खरी उतरीं, बल्कि उन्होंने सिनेमा के जरिए समाज के अनेक पहलुओं को उजागर किया। आइए, जानते हैं श्याम बेनेगल की कुछ प्रमुख फिल्मों के बारे में जो अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं, ताकि हम उनकी फिल्मों को फिर से देख सकें और उनके योगदान को सराह सकें।

अंकुर: श्याम बेनेगल की फिल्म यात्रा की शुरुआत

1974 में श्याम बेनेगल ने फिल्म ‘अंकुर’ से अपने निर्देशन की शुरुआत की। यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर आधारित थी और इसने श्याम बेनेगल को एक मजबूत निर्देशक के रूप में स्थापित किया। फिल्म की कहानी ग्रामीण भारत की समस्याओं को उजागर करती है, जिसमें जातिवाद और समाज में पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह को दिखाया गया है। ‘अंकुर’ को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले और यह फिल्म अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, जहां दर्शक इस कालजयी कृति का आनंद ले सकते हैं।

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मंडी: समाज की परतों का पर्दाफाश

‘मंडी’ श्याम बेनेगल की एक और महत्वपूर्ण फिल्म है, जो समाज के गहरे और कई बार अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है। यह फिल्म एक कोठे और वहां की औरतों की कहानी पर आधारित है। फिल्म में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज कलाकारों ने अभिनय किया है। ‘मंडी’ को एक समाजिक व्यंग्य के रूप में देखा जा सकता है, जो न केवल महिला सशक्तिकरण की बात करती है, बल्कि समाज के हर वर्ग के बीच की दूरी को भी दर्शाती है। यह फिल्म भी अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद है और दर्शकों को यह एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है।

मंथन: एक क्रांतिकारी फिल्म

‘मंथन’ श्याम बेनेगल की एक और उत्कृष्ट फिल्म है, जो भारतीय समाज के एक संवेदनशील मुद्दे – मिल्क प्रोड्यूसर्स के अधिकारों – को उठाती है। यह फिल्म किसानों की दयनीय स्थिति और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष को दर्शाती है। ‘मंथन’ को भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली और प्रेरणादायक फिल्मों में से एक माना जाता है। फिल्म के जरिए श्याम बेनेगल ने यह बताया कि कैसे सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करना आवश्यक है। यह फिल्म ओटीटी पर भी उपलब्ध है, जो इसे एक नया जीवन देती है।

वेल डन अब्बा: सरकारी भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार

‘वेल डन अब्बा’ एक और फिल्म है, जो श्याम बेनेगल की निर्देशक दृष्टि और उनकी समाज के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है। इस फिल्म में सरकारी योजनाओं में हो रही धांधली और भ्रष्टाचार को पूरी तरह से उजागर किया गया है। फिल्म की कहानी एक ऐसे आदमी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो सरकारी दफ्तरों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार से जूझता है। यह फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर उपलब्ध है, और यह एक सशक्त संदेश देती है कि किस तरह से आम आदमी भी सिस्टम में बदलाव ला सकता है यदि उसे सही दिशा मिल जाए।

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जुबैदा: एक विवादास्पद प्रेम कहानी

2001 में रिलीज हुई फिल्म ‘जुबैदा’ श्याम बेनेगल की एक और चर्चित फिल्म है, जो एक मुस्लिम अभिनेत्री और हिंदू राजकुमार के प्रेम संबंधों पर आधारित है। यह फिल्म एक विवादास्पद विषय को छूती है, जो भारतीय समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को बयां करती है। ‘जुबैदा’ में करिश्मा कपूर, रेखा, मनोज वाजपेयी, और अमरीश पुरी जैसे कलाकारों का अभिनय देखने को मिलता है। फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में ‘सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म’ का पुरस्कार जीता और यह फिल्म अब जी5 पर उपलब्ध है, जहां दर्शक इसे देख सकते हैं।

समाज को एक नई दिशा देने वाली फिल्में

श्याम बेनेगल की फिल्में न केवल मनोरंजन का साधन थीं, बल्कि वे समाज में व्याप्त असमानताओं, भ्रष्टाचार और सामाजिक संवेदनशीलता पर भी प्रकाश डालती थीं। उनकी फिल्मों में हर विषय को खुलकर और बेबाकी से प्रस्तुत किया गया, चाहे वह किसानों के अधिकारों की बात हो, महिला सशक्तिकरण हो, या सरकारी भ्रष्टाचार की दलील। वे अपने सिनेमा के जरिए समाज के हर वर्ग को जोड़ने और जागरूक करने का प्रयास करते थे।

उनकी फिल्मों में विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, मजबूत कलेवर, और संवेदनशीलता का अद्वितीय मिश्रण था, जो न केवल दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता था, बल्कि उन्हें समाज के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित करता था। श्याम बेनेगल ने आर्ट सिनेमा के जरिए भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी और दर्शकों को सिनेमा के रूप में गहरी सोच और समझ से जुड़ने का एक अवसर प्रदान किया।

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