उत्तर प्रदेश में नए साल का जश्न इस बार बेहद खास और धूमधाम से मनाया गया। इस जश्न का एक दिलचस्प पहलू यह भी रहा कि प्रदेश में केवल 31 दिसंबर और 1 जनवरी को शराब की खपत ने नया रिकॉर्ड बना दिया। अनुमान है कि इन दो दिनों में प्रदेशवासियों ने लगभग 600 करोड़ रुपये की शराब का उपभोग किया।
यह आंकड़ा प्रदेश की शराब की बिक्री और खपत में अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है। शराब की दुकानों, बार और रेस्टोरेंट में ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिली। सबसे ज्यादा बिक्री बड़े शहरों जैसे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा और नोएडा में हुई।
आंकड़ों के मुताबिक, नए साल की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर को शराब की खपत अपने चरम पर थी। वहीं, 1 जनवरी को भी यह सिलसिला जारी रहा। इसके पीछे जश्न के तौर-तरीकों में बदलाव और युवा वर्ग के लाइफस्टाइल का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
शराब कारोबारियों और सरकारी विभागों ने इस बिक्री से बड़ा मुनाफा कमाया। राज्य सरकार को भी शराब पर लगाए गए उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) के रूप में अच्छी खासी राजस्व प्राप्ति हुई।
हालांकि, इस बढ़ती खपत के साथ सामाजिक चिंताएं भी जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शराब की बढ़ती खपत स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण से नुकसानदेह हो सकती है। इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं और विवादों में भी वृद्धि दर्ज की गई।
नए साल की इस बिक्री ने जहां सरकार और व्यवसायियों को लाभ पहुंचाया, वहीं समाज के कुछ हिस्सों में इसे लेकर चिंतन की जरूरत भी महसूस की जा रही है।