बृहस्पतिवार का व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह व्रत विशेष रूप से सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिरता और पारिवारिक शांति के लिए रखा जाता है। बृहस्पतिदेव, जिन्हें गुरु भी कहा जाता है, ज्ञान और धर्म के देवता हैं। उनकी कथा और आरती सुनने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना, पीले खाने का भोग लगाना और पूजा विधि को पूरी श्रद्धा से करना शुभ माना जाता है। यह व्रत न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन लाने का एक अद्भुत माध्यम भी है।
बृहस्पतिवार व्रत कथा आरती
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा…
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी..
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता…
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े…
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी…
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो…
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे…
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय…
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥
बृहस्पतिवार व्रत कथा और आरती से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कथा के माध्यम से जहां हमें धर्म और कर्तव्य का ज्ञान मिलता है, वहीं आरती से हमारे मन में भक्ति का संचार होता है। यह व्रत न केवल हमारे जीवन को सरल और सकारात्मक बनाता है, बल्कि ईश्वर के प्रति हमारी आस्था को भी मजबूत करता है। इस पवित्र अनुष्ठान को अपनाकर जीवन में सुख और शांति का अनुभव करें।