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सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में प्रभावी पूंजीगत व्यय का केवल 37.28% किया उपयोग

सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में प्रभावी पूंजीगत व्यय का केवल 37.28% किया उपयोग
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वित्त मंत्रालय ने हाल ही में वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों के दौरान सरकार के खर्च और निवेश के आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) और विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित धन का उपयोग किया गया। इस रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि सरकार ने अपनी बजट योजना के तहत निर्धारित पूंजीगत व्यय का केवल 37.28% ही उपयोग किया है। यह आंकड़ा बताता है कि सरकार के द्वारा किए गए खर्च में अपेक्षित गति की कमी दिखती है, खासकर उन परियोजनाओं के लिए जो बुनियादी ढांचे के निर्माण और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हैं।

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पूंजीगत व्यय की कमी और इसके कारण

सरकार द्वारा निर्धारित बजट के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल पूंजीगत व्यय का अनुमान 15.02 लाख करोड़ रुपये था। इसमें केंद्रीय पूंजीगत व्यय, प्रत्यक्ष पूंजीगत व्यय और राज्यों को पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदान शामिल थे। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में कुल प्रभावी पूंजीगत व्यय 5.60 लाख करोड़ रुपये था, जो निर्धारित लक्ष्य का केवल 37.28% था।

वित्त मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि इस कमी का कारण विभिन्न विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में कुछ देरी हो सकती है, हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा है कि यह सरकार की दीर्घकालिक विकास योजनाओं के प्रति प्रतिबद्धता को कम नहीं करता। सरकार बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने और स्थायी आर्थिक विकास के लिए काम कर रही है, और इस उद्देश्य के लिए भारी पूंजीगत व्यय किया गया है।

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बजट आवंटन और खर्च का विवरण

वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कुल सरकारी व्यय 48.21 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित बजट का 43.8% यानि 21.11 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है। इसमें से एक बड़ा हिस्सा राजस्व खर्चों पर गया है, जिसमें ब्याज भुगतान, रक्षा सेवाओं, पेंशन, प्रमुख सब्सिडी, और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान शामिल हैं।

सरकार ने राजस्व खाते पर 37.09 लाख करोड़ रुपये का 45.7% यानि 16.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें 1.45 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत संपत्तियों के लिए अनुदान सहायता पर खर्च किए गए हैं। इसी प्रकार, ब्याज भुगतान और रक्षा सेवाओं के लिए भारी खर्च का अनुमान था, और वित्त वर्ष की पहली छमाही में इन मदों पर जरूरी खर्च किए गए।

सरकारी खर्च का विश्लेषण

वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए भारी बजट आवंटन किया था। ब्याज भुगतान, जो कि भारत के सरकारी खर्च का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, के लिए 27.12 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके अलावा, रक्षा सेवाओं, पेंशन, प्रमुख सब्सिडी और राज्यों को अनुदान सहायता के लिए भी बजट का एक बड़ा हिस्सा निर्धारित किया गया था।

इसी तरह, सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत संपत्तियों के निर्माण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान के रूप में प्रदान किए थे। यह अनुदान स्थानीय विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण था, हालांकि इसे पहले ही छह महीनों में पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा सका।

इसके अतिरिक्त, सरकार ने प्रमुख सब्सिडी के लिए 3.81 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया था, जिसमें से 2.14 लाख करोड़ रुपये पहले छह महीनों में आवंटित किए गए थे। पेंशन भुगतान के लिए भी बजट में 2.43 लाख करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी, और पहले छह महीनों में 1.48 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

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कर्ज पर ब्याज का भुगतान और इसके असर

सरकार का कर्ज पर ब्याज भुगतान एक और महत्वपूर्ण खर्च है, जो हर वित्तीय वर्ष में बढ़ता ही जाता है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में सरकार ने 5,15,010 लाख करोड़ रुपये कर्ज पर ब्याज के रूप में चुकाए। यह आंकड़ा 11,62,940 करोड़ रुपये के बजट अनुमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार को कर्ज पर ब्याज चुकाने की बढ़ती जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए, अगले कुछ वर्षों में यह खर्च और बढ़ सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बन सकता है।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान सहायता

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दी जाने वाली अनुदान सहायता सरकार की अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का हिस्सा है। इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में सरकार ने 2,39,296 लाख करोड़ रुपये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान सहायता के रूप में आवंटित किए। यह सहायता विभिन्न विकास योजनाओं, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य योजनाओं के लिए प्रदान की गई है।

सरकार की ओर से यह सहायता स्थानीय और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने का एक तरीका है, जो न केवल राज्यों के आर्थिक विकास में सहायक होती है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी फायदेमंद होती है।

सरकारी खर्च में असंतुलन और सुधार की आवश्यकता

इस आंकड़े के सार्वजनिक होने के बाद, यह सवाल उठता है कि सरकार द्वारा निर्धारित पूंजीगत व्यय का इतना छोटा हिस्सा क्यों उपयोग किया गया। क्या यह धीमी गति से चल रही परियोजनाओं या अन्य प्रशासनिक समस्याओं का परिणाम है? हालांकि सरकार ने इस देरी का कारण स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक चेतावनी संकेत है कि आगामी महीनों में बजट लक्ष्यों को पूरा करने के लिए गति और समर्पण की आवश्यकता होगी।

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इसके अलावा, वित्तीय वर्ष के अंत तक सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि दीर्घकालिक विकास के लिए निर्धारित खर्च को सही तरीके से लागू किया जाए। आर्थिक सुधारों, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और विकासात्मक परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार को अपनी योजनाओं को तेजी से और प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता है।

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