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असंगठित क्षेत्र में रोजगार में बड़ा उछाल, एक साल में बढ़े एक करोड़ से अधिक रोजगार

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भारत के असंगठित क्षेत्र में पिछले एक साल में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। इस क्षेत्र में रोजगार की संख्या एक करोड़ से अधिक बढ़ गई है, जिससे इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की कुल संख्या अब 12 करोड़ से ज्यादा हो गई है। यह वृद्धि 10% की दर से हुई है, जो असंगठित क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। साथ ही, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला उद्यमियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जो इस क्षेत्र के विकास की दिशा को दर्शाता है।

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असंगठित क्षेत्र की वृद्धि: आंकड़ों का विश्लेषण

भारत के असंगठित क्षेत्र में 2023-24 के दौरान रोजगार और व्यवसायों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान, असंगठित उद्यमों की संख्या में 12% से अधिक का इजाफा हुआ है। इस प्रकार, अब असंगठित क्षेत्र में कुल 12 करोड़ से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं, जो कि पहले की तुलना में एक बड़ा बदलाव है।

असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की संख्या में भी भारी वृद्धि देखी गई है। 2022-23 में जहां असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 6.50 करोड़ थी, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 7.34 करोड़ हो गई है। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारत में असंगठित क्षेत्र न केवल रोजगार के अवसर बढ़ा रहा है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहा है।

महिलाओं का बढ़ता हुआ योगदान

असंगठित क्षेत्र में महिलाओं का योगदान भी बढ़ा है। महिलाओं के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 2022-23 के 22.9% से बढ़कर 2023-24 में 26.2% हो गई है। इसका मतलब है कि महिला उद्यमियों की संख्या में 14% का इजाफा हुआ है। यह वृद्धि न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि महिलाएं अब पारंपरिक रोजगार से हटकर व्यवसायों में अपनी पहचान बना रही हैं।

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महिलाओं के इस बढ़ते योगदान को देखकर यह कहा जा सकता है कि भारतीय समाज में अब महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं, खासकर असंगठित क्षेत्र में। यह क्षेत्र महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहा है, और इसके परिणामस्वरूप महिलाएं अधिक आत्मनिर्भर बन रही हैं।

असंगठित क्षेत्र का आर्थिक योगदान

असंगठित क्षेत्र का भारत की अर्थव्यवस्था में एक अहम स्थान है। इस क्षेत्र में लाखों लोग काम कर रहे हैं, जो विभिन्न प्रकार की सेवाओं और उत्पादों का निर्माण करते हैं। यह क्षेत्र विशेष रूप से छोटे व्यवसायों, घरेलू उद्योगों, खुदरा विक्रेताओं और फ्रीलांस पेशेवरों का घर है। असंगठित क्षेत्र का योगदान रोजगार सृजन, आय वितरण, और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण है।

असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों में अधिकांश लोग ग्रामीण इलाकों से होते हैं, जहां औपचारिक रोजगार के अवसर कम होते हैं। इस क्षेत्र में काम करने से इन लोगों को रोजगार मिलता है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए न केवल एक रोजगारदाता के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह उत्पादन और सेवा क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करता है।

रोजगार के अवसरों में वृद्धि: सरकार की भूमिका

भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और नीतियां बनाई हैं। इन नीतियों के माध्यम से सरकार ने असंगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, बीमा, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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इसमें सबसे महत्वपूर्ण योजना है “प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना” जो असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन योजना प्रदान करती है। इसके अलावा, “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना” के तहत छोटे व्यापारियों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने और रोजगार सृजन में मदद मिलती है।

असंगठित क्षेत्र की चुनौतियां

हालांकि असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, लेकिन इस क्षेत्र को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिकों को स्थिर रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और उचित वेतन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए बेहतर कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और पेंशन जैसी सुविधाओं का अभाव है।

इसलिए, सरकार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार करना चाहिए। इससे न केवल श्रमिकों का जीवन स्तर बेहतर होगा, बल्कि इससे पूरे असंगठित क्षेत्र का विकास भी होगा।

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