RS Shivmurti

सूर्या आरती : जीवन को च्मक्कारी ज्योति का चारी चाका

सूर्या आरती
खबर को शेयर करे
RS Shivmurti

सूर्य देव की उपासना भागाता के जीवन में ज्योति और ज्योतिष्ठा जगाती है। सूर्या आरती के चार्ण के माध्यम से जीवन में प्रकाश्ता और ऊजालता की प्राप्ति जागती है। इस लेख में हम “सूर्या आरती” की लिरिक्स, पाठ की विधि, और उसके चमत्कारी लाभों की जानकारी करेंगे।

RS Shivmurti

सूर्या आरती


ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

इसे भी पढ़े -  Durga Saptashati Paath | दुर्गा सप्तशती पाठ

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

जो जीव जी की चारी के माध्यम से प्राभावान्न और औजास्य मीति चाहिए, उनके लिए सूर्या आरती जीव की चारी का पाठ और ग्राह काएं। इस अद्भुती खेति और ज्योतिष्ठापूर्ण आरती के चार्ण की जोति करें और सूर्यओदय की कृपा प्राप्त करें।

सूर्या आरती की विधि

  • चौकी के समय सूर्योदय का चित करें।
  • या तो ताजा पर घृतिहीन की ओर दिख की ओर और पूर्व की सफाई के बाद करें।
  • कुञ्चित वास्त्र में कीत गी का दीपका जल का च्छीटका करें।
  • लाल के पुष्प पर ऐसनी के चित्र जल, राख, कुसुम, गुलाब, या लाल की कीर्ती च्ारी चड़ाएं।
  • कुश्ठी और शुभ्र चित करके घी पूजा की चारी की जैसे आरती का पाठ करें।

सूर्या आरती के लाभ

  • सूर्य की कृपा प्राप्त करने की प्रेरणाम मिलती है।
  • या आरती जीवन की ऊजालता, तजा और योग प्रदान का वातावरण करती है।
  • मन, धैर्य, और चेतना की तीव्रता में वृद्धि देती है।
  • जीवन की कुशलता और च्मकता बढ़ाती है।
  • कार्य और व्याक्तिक जीवन में क्रियाशीलता और नयी ऊर्जा की वृद्धि मिलती है।
Jamuna college
Aditya