प्रीपेड ऑटो रिक्शा सेवा से जुड़े हुए हैं, पिछले कई वर्षों से इस सेवा का संचालन कर रहे हैं और इसके लिए हम लोगों द्वारा निर्धारित लाइसेंस शुल्क, जो कि प्रति वर्ष दस लाख रुपये है, नियमित रूप से भुगतान किया जाता है। इसके अलावा, हम ऑटो रिक्शा स्टैंड का शुल्क भी पिछले 70 वर्षों से दे रहे हैं।
लेकिन, अब इस सेवा को समाप्त करके टेंडर प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव लिया जा रहा है, जो हमारे लिए न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे गरीबों के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।
- वाराणसी शहर में कुल 5000 सिटी परमिट जारी हैं, जबकि शहर में लगभग 28000 ऑटो रिक्शा चल रहे हैं। इस स्थिति में अगर सभी ऑटो रिक्शा स्टेशन पर आएंगे, तो यातायात व्यवस्था पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाएगी। जबकि प्रीपेड सेवा में केवल 150 गाड़ियाँ होती हैं, जो स्टेशन पर एक व्यवस्थित व्यवस्था सुनिश्चित करती हैं।
- ऑटो रिक्शा स्टैंड का टेंडर करने से पहले, प्रीपेड सेवा से जुड़े हुए हम लोगों से राय लेनी चाहिए। जबरदस्ती किसी के व्यवसाय को समाप्त करना न केवल गलत है, बल्कि यह हमारे अधिकारों का हनन भी है।
- यह माननीय प्रधान मंत्री जी का संसदीय क्षेत्र है, और प्रीपेड सेवा को समाप्त करके टेंडर प्रक्रिया लागू करना निंदनीय है। दिल्ली और लखनऊ में आज भी प्रीपेड सेवा चल रही है, जहाँ यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है।
- रेलवे का टेंडर प्रणाली में तीन माह का शुल्क जमा करने के बाद दो माह का समय निःशुल्क मिलता है, जिससे ठेकेदारों द्वारा जबरन शुल्क वसूली की संभावना पैदा होती है, जो गरीबों के लिए अत्यधिक परेशानी का कारण बन सकती है। इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें और गरीबों के हित में प्रीपेड ऑटो रिक्शा सेवा को बनाए रखने की कृपा करें। यदि टेंडर प्रक्रिया लागू की जाती है, तो ठेकेदार द्वारा दिनभर में 100 से 200 रुपये जबरदस्ती प्रीपेड के नाम पर काटे जाएंगे, जिससे हमारी रोजी-रोटी प्रभावित होगी। आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की अपेक्षा हुए, हम इस मामले में न्याय की आशा करते हैं।