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अजमेर दरगाह और मंदिर विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चादर पेशी

अजमेर दरगाह और मंदिर विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चादर पेशी
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अजमेर (राजस्थान): अजमेर शरीफ की दरगाह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चादर पेश करने की तिथि निर्धारित हो गई है। यह कार्यक्रम 4 जनवरी 2025 को आयोजित होगा, जो इस बार विशेष रूप से चर्चित है। प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से चादर पेश करना इस बार कुछ खास है क्योंकि इसे लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू प्रधानमंत्री मोदी की ओर से चादर लेकर अजमेर शरीफ दरगाह जाएंगे। यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब अजमेर शरीफ दरगाह और मंदिर के बीच एक विवाद चल रहा है, जो राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का विषय बना हुआ है।

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अजमेर शरीफ की दरगाह भारत में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं। इस दरगाह में ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मजार स्थित है, जो सूफी संत थे और भारत में इस्लाम धर्म के प्रसार में उनका बड़ा योगदान था।

दरगाह और मंदिर विवाद:

हाल ही में अजमेर में मंदिर और दरगाह के बीच एक विवाद छिड़ा था, जिसके कारण इस मुद्दे पर कई राजनीतिक दलों और समाजिक संगठनों ने अपना पक्ष रखा। विवाद की जड़ यह है कि अजमेर दरगाह को लेकर धार्मिक दृष्टिकोण से विवाद उठे हैं। कुछ वर्गों का मानना है कि यह धार्मिक स्थल एक अलग धार्मिक पहचान रखता है, जबकि दूसरे पक्ष के अनुसार, दरगाह और मंदिर के बीच की धार्मिक सीमाओं को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है।

इस विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चादर चढ़ाने जाना महत्वपूर्ण संदेश देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल के जरिए अपने धार्मिक और सांप्रदायिक समरसता के दृष्टिकोण को उजागर किया है। यह कदम विभिन्न धर्मों और सांप्रदायिक समूहों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का विशेष योगदान:

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू इस बार प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से चादर लेकर अजमेर शरीफ दरगाह जाएंगे। यह एक विशेष पहल है, क्योंकि इससे पहले मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने भी चादर पेश की थी।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का इस यात्रा में शामिल होना दर्शाता है कि सरकार धार्मिक सौहार्द और सभी समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। दरगाह में चादर पेश करने की परंपरा भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है और इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य माना जाता है।

अजमेर शरीफ का सलाना उर्स:

अजमेर शरीफ की दरगाह का सलाना उर्स 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है, जो पूरी दुनिया से हज़ारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। उर्स का आयोजन ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के अवसर पर होता है और यह आयोजन दरगाह के इतिहास और उसकी धार्मिक महत्ता को मान्यता देता है। उर्स के दौरान विशेष पूजा-अर्चना, चादर चढ़ाना और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा को जारी रखते हुए इस बार उनकी उपस्थिति इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। इससे यह संदेश दिया जाता है कि भारत सरकार धार्मिक आयोजनों और स्थलों के प्रति अपनी श्रद्धा को बनाए रखने के साथ-साथ सभी समुदायों के बीच समरसता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्यों महत्वपूर्ण है चादर पेशी?

चादर पेश करने की परंपरा भारत में कई जगहों पर प्रचलित है, खासकर प्रमुख दरगाहों और धार्मिक स्थलों पर। यह परंपरा श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा खासकर सूफी धर्म की श्रद्धा और भक्ति से जुड़ी हुई है।

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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चादर पेश करने का एक विशेष उद्देश्य होता है – यह न केवल धार्मिक रूप से एक श्रद्धा प्रकट करने का माध्यम है, बल्कि यह समाज में सामूहिक एकता और सौहार्द की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम इस बात को भी दर्शाता है कि देश की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाता है।

राजनीतिक दृष्टिकोण:

अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर पेश करने की परंपरा से जुड़े विवादों और असहमति के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने का निर्णय लिया है। यह कदम भारतीय राजनीति में सांप्रदायिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से यह कदम विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच एकता स्थापित करने के रूप में देखा जा सकता है।

विशेष रूप से, इस समय जब मंदिर और दरगाह के बीच विवाद उठ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम एक सशक्त संदेश देता है कि भारत का सांप्रदायिक स्वरूप और धर्मनिरपेक्षता को सरकार बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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