वाराणसी और पूर्वांचल के अन्य हिस्सों में मानसून में देरी और भीषण गर्मी से परेशान लोग बारिश के लिए पारंपरिक टोटकों का सहारा ले रहे हैं। इसी कड़ी में मेंढक-मेंढकी की शादी कराई गई।
इस अनोखे आयोजन में, दुल्हन बनी मेंढकी को हल्दी-चावल से स्नान कराया गया और लाल चुनरी ओढ़ाई गई। वहीं, दूल्हे बने मेंढक को हल्दी और उबटन लगाया गया। विवाह के लिए ढोल-नगाड़े के साथ बारात भी निकाली गई। महावीर मंदिर के प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह की रस्में निभाई गईं।
शादी के बाद, दोनों मेंढक और मेंढकी को तालाब में विदा कर दिया गया। इस टोटके का उद्देश्य इंद्र देवता को प्रसन्न कर जल्द से जल्द बारिश की प्रार्थना करना है, जिससे किसानों और आम जनता को राहत मिल सके।
मेंढक-मेंढकी के विवाह का टोटका भारतीय परंपरा में बहुत पुराना है और इसका आयोजन विशेष रूप से बारिश के लिए किया जाता है।