


नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी का मंगला श्रृंगार अत्यंत आकर्षक और दिव्य होता है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का प्रतीक हैं, और उनका स्वरूप भक्तों को जीवन में तप, संयम, और साधना का महत्व समझाता है।

माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, और उनके हाथों में कमंडल तथा माला होती है। उनका मुखमंडल अत्यंत शांत और तेजमय होता है, जो भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन मंदिरों में माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसमें सफेद पुष्प, सुगंधित चंदन, रत्नों से सजे आभूषण और विभिन्न प्रकार की सुगंधित धूप का प्रयोग किया जाता है। माता को विशेषकर चीनी, शहद और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है, जो उनकी पवित्रता और साधना को दर्शाता है।
भक्तगण माता के इस दिव्य रूप के दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में संयम, साहस और धैर्य की वृद्धि होती है। मंगला आरती के समय भक्तजन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भक्ति भाव से माता की स्तुति करते हैं। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए आत्मनियंत्रण और साधना का महत्वपूर्ण संदेश लेकर आता है, जो उन्हें जीवन में कठिन परिस्थितियों में धैर्य और साहस बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
इस प्रकार नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का मंगला श्रृंगार दर्शन एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अनुभव होता है, जो हर भक्त के मन को शांति और संबल प्रदान करता है।