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पौष माह की अमावस्या 30 दिसंबर को, जानें पूजा के महत्व के साथ शुभ मुहूर्त

पौष माह की अमावस्या 30 दिसंबर को, जानें पूजा के महत्व के साथ शुभ मुहूर्त
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नई दिल्ली: सनातन धर्म में अमावस्या का महत्व विशेष है, और पौष माह की अमावस्या को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। इस दिन को पितृ पक्ष से जोड़ा जाता है, क्योंकि इस दिन पितरों की श्रद्धा में श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पौष अमावस्या इस वर्ष 30 दिसंबर को आ रही है, और यह दिन पूजा, स्नान और दान के लिए शुभ मानी जाती है। इस विशेष दिन पर किए गए धार्मिक कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है और समृद्धि का वरदान मिलता है।

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पौष अमावस्या का महत्व

पौष माह की अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन पितृदोष निवारण के लिए उपयुक्त माना जाता है। अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण और श्राद्ध देने का महत्व है, जिससे पितर संतुष्ट होते हैं और परिवार के सदस्य सुखी रहते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। खासकर परिवार के समृद्धि के लिए यह दिन महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, इस दिन सूर्य और चंद्रमा के मिलन से उत्पन्न विशेष ऊर्जा भी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होती है।

पौष अमावस्या की तिथि और समय

पौष माह की अमावस्या 30 दिसंबर, सोमवार को प्रातः 04:01 बजे से शुरू होकर 31 दिसंबर, मंगलवार को प्रातः 03:56 बजे तक रहेगी। इस दौरान किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है।

पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

इस दिन पूजा, स्नान और दान का विशेष महत्व है, और इसके लिए शुभ मुहूर्त भी निर्धारित किया गया है। पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त वृद्धि योग में रहेगा, जो सुबह से लेकर रात 8:32 बजे तक चलेगा। इस समय में श्रद्धालु अपने घरों में विशेष पूजा और तर्पण करके पितरों को प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे।

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इसके अलावा, सोमवती अमावस्या का ब्रह्म मुहूर्त 30 दिसंबर को प्रातः 5:24 बजे से लेकर प्रातः 6:19 बजे तक रहेगा, जो विशेष रूप से लाभकारी और शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त में पूजा करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है और इच्छाओं की पूर्ति संभव होती है।

पौष अमावस्या पर क्या करें पूजा और दान

  • स्नान और तर्पण: इस दिन गंगाजल या किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान करें और पितरों को तर्पण अर्पित करें। यह दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है, इसलिए पितरों के नाम का जप करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • दान और पुण्य कार्य: इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। गाय, बर्तन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक चीजों का दान करें। इसके अलावा, गरीबों को भोजन और धन देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • व्रत और उपवासन: पौष अमावस्या के दिन उपवासन या व्रत रखने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति की मानसिक स्थिति भी मजबूत होती है।
  • भोग और पूजा: इस दिन भगवान को विशेष भोग अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यह दिन धार्मिक कार्यों को बढ़ावा देने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सबसे उपयुक्त है।

पौष अमावस्या का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पौष अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का संयोग होता है, जिससे आकाशीय ऊर्जा का प्रवाह अधिक होता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। अमावस्या के दिन सूर्योदय और चंद्रमा का संयोग अधिक लाभकारी होता है, और यह दिन किसी भी प्रकार के नए कार्यों की शुरुआत के लिए अच्छा माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना करने से मानसिक शांति मिलती है।

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