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पढ़ाई के साथ शारीरिक और मानसिक सेहत का ध्यान रखना अब होगा ज़रूरी

पढ़ाई के साथ शारीरिक और मानसिक सेहत का ध्यान रखना अब होगा ज़रूरी
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अब उच्च शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों को न केवल छात्रों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा, बल्कि उनकी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत का भी ख्याल रखना होगा। यह जिम्मेदारी प्रोफेसर स्तर के डीन या डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों की होगी। इसके लिए कैंपस में छात्र सेवा केंद्र (SSC) स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों का उद्देश्य छात्रों की फिजिकल फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य पर काम करना है। इसके अलावा, विशेषज्ञ छात्रों के तनाव को कम करने और इमोशनल सपोर्ट देने में मदद करेंगे।

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छात्र सेवा केंद्र में क्या होगा खास

छात्र सेवा केंद्र (SSC) के माध्यम से छात्रों को एक सिंगल विंडो सेवा प्रदान की जाएगी। हर छात्र का रिकॉर्ड इस केंद्र में रखा जाएगा। केंद्र में महिला और पुरुष दोनों तरह के प्रोफेशनल काउंसलर उपलब्ध होंगे। ये केंद्र मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक फिटनेस और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करेंगे।

विशेष बात यह है कि यहाँ:

  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के मूल्यांकन के लिए उपकरण होंगे।
  • ऑनलाइन, ग्रुप और टेलीफोन परामर्श की सुविधा उपलब्ध होगी।
  • छात्रों को उनकी शारीरिक गतिविधियों का स्कोर भी करना होगा।

शारीरिक गतिविधि बनेगी पढ़ाई का हिस्सा

अब छात्रों की शारीरिक गतिविधि को क्रेडिट सिस्टम में शामिल किया जाएगा। छात्रों को अगले सेमेस्टर में जाने के लिए अपनी शारीरिक गतिविधि का स्कोर प्रस्तुत करना होगा। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को शारीरिक रूप से सक्रिय और स्वस्थ बनाना है।

फिलहाल, केवल 2% छात्र ही खेलों में भाग लेते हैं। शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ज्यादा से ज्यादा छात्र खेलों और अन्य गतिविधियों में हिस्सा लें। खेल परिषद, शिक्षा विभाग और योग विभाग इसकी निगरानी करेंगे।

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मानसिक स्वास्थ्य को मिलेगा बढ़ावा

पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य कोर्स जोड़े जाएंगे और छात्रों को इसके लिए क्रेडिट भी दिए जाएंगे। छात्रों को अवसाद, तनाव और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मोटापा और मधुमेह से बचाने के लिए संस्थानों को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी को किया जाएगा दूर

देश में प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को एम्स, निमहंस और अन्य विशेषज्ञ संस्थानों के साथ समझौते करने होंगे। इन समझौतों के माध्यम से विशेष औषधीय हस्तक्षेप और चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा, भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए यूजीसी, एआईसीटीई और एमसीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

समावेशी और सम्मानजनक वातावरण होगा प्राथमिकता

नई पहल के तहत सभी भाषाओं, धर्मों और सामाजिक विविधताओं का सम्मान सुनिश्चित किया जाएगा। खासकर समलैंगिक छात्रों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों की जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा।

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Aditya