रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के जामनगर रिफाइनरी के 25 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में रिलायंस की निदेशक ईशा अंबानी पीरामल ने अपने पिता मुकेश अंबानी और दादा धीरूभाई अंबानी की समर्पण और दृष्टि की अद्भुत कहानी साझा की। इस कार्यक्रम में उपस्थित कर्मचारियों और उनके परिवारों को संबोधित करते हुए ईशा ने अपने दादा के सपनों और पिता के अटूट समर्पण को याद किया।
जामनगर रिफाइनरी: धीरूभाई अंबानी का सपना
ईशा ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “आज जब हम जामनगर के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो मुझे अपने दादाजी की मौजूदगी महसूस हो रही है। मैं उन्हें बहुत याद कर रही हूं। यह उनका सपना था, एक ऐसा सपना जो उनके दिल में बसता था।”
जामनगर रिफाइनरी की परिकल्पना धीरूभाई अंबानी ने की थी। उनका सपना था कि भारत न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने, बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बनाए। उन्होंने इसे सिर्फ एक रिफाइनरी नहीं, बल्कि भारत के विकास और आत्मनिर्भरता की नींव के रूप में देखा।
ईशा ने कहा कि अगर आज धीरूभाई अंबानी होते, तो उन्हें इस बात पर गर्व होता कि जामनगर रिफाइनरी ने न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
मुकेश अंबानी: कर्तव्य और समर्पण की मिसाल
अपने पिता मुकेश अंबानी के बारे में बात करते हुए ईशा ने कहा, “मैंने अपने पिता को उनके सपनों के लिए जी-जान लगाते देखा है। उनके लिए कर्तव्य से बड़ा कुछ भी नहीं है।”
मुकेश अंबानी ने अपने पिता धीरूभाई के सपनों को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने न केवल जामनगर रिफाइनरी को विश्व की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक रिफाइनरी बनाया, बल्कि इसे हर मायने में बेमिसाल साबित किया।
ईशा ने भावुक होते हुए कहा, “मेरे पिता ने मुझे सिखाया है कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, अगर आप पूरी लगन और समर्पण के साथ अपने उद्देश्य के लिए काम करें। उनके लिए उनके पिता के सपनों से बड़ा कुछ भी नहीं है।”
जामनगर: दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी
जामनगर रिफाइनरी को आज दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी के रूप में जाना जाता है। यह रिफाइनरी हर दिन लाखों बैरल कच्चे तेल को प्रोसेस करती है और ऊर्जा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
ईशा ने इस उपलब्धि पर कहा, “जामनगर रिफाइनरी ने साबित किया है कि भारत भी वैश्विक ऊर्जा उद्योग में अग्रणी हो सकता है। यह सिर्फ एक रिफाइनरी नहीं, बल्कि हमारे देश की शक्ति और प्रतिभा का प्रतीक है।”
कर्मचारियों और उनके परिवारों का योगदान
ईशा ने इस अवसर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के कर्मचारियों और उनके परिवारों को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “यह सफलता सिर्फ हमारे परिवार की नहीं है। यह उन हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों के अटूट विश्वास और मेहनत की कहानी है, जिन्होंने इस सपने को साकार करने में अपना योगदान दिया।”
उन्होंने कर्मचारियों के परिवारों को भी इस यात्रा का अभिन्न हिस्सा बताया और कहा कि उनकी त्याग और समर्पण के बिना यह संभव नहीं होता।
जामनगर के 25 साल: एक नई शुरुआत
ईशा अंबानी ने कहा कि जामनगर रिफाइनरी के 25 साल पूरे होना एक नई शुरुआत का संकेत है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह सिर्फ अतीत का जश्न मनाने का समय नहीं है, बल्कि भविष्य की योजनाओं और नई ऊंचाइयों को छूने का वादा भी है।”
मुकेश अंबानी की अगुवाई में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सिर्फ जामनगर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत बनाया है। जामनगर रिफाइनरी को पर्यावरण के अनुकूल और तकनीकी दृष्टि से और अधिक उन्नत बनाने की योजना पर भी काम हो रहा है।
धीरूभाई अंबानी की विरासत
धीरूभाई अंबानी का सपना न केवल जामनगर रिफाइनरी तक सीमित था, बल्कि उन्होंने भारत को विश्व के शीर्ष उद्योगों में शामिल करने का सपना देखा था।
ईशा ने कहा, “मेरे दादा ने हमें सिखाया कि अगर आप बड़ा सपना देख सकते हैं, तो आप उसे साकार भी कर सकते हैं। उनकी दृष्टि और उनके सपने आज भी हमें प्रेरित करते हैं।”
मुकेश अंबानी का संदेश
कार्यक्रम के दौरान मुकेश अंबानी ने भी वीडियो संदेश के जरिए सभी को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “जामनगर सिर्फ एक रिफाइनरी नहीं, बल्कि हमारे परिवार और देश की शक्ति और सामूहिक प्रयास का प्रतीक है। यह दिखाता है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”
ईशा अंबानी का भावुक अंत
कार्यक्रम के अंत में ईशा अंबानी ने कहा, “आज जब मैं यहां खड़ी हूं, तो मुझे अपने दादा और पिता पर गर्व है। उन्होंने हमें सिखाया है कि कर्तव्य, मेहनत और समर्पण से हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।”
जामनगर रिफाइनरी के 25 साल पूरे होने का जश्न न केवल अंबानी परिवार की सफलता की कहानी है, बल्कि यह भारत की ताकत और आत्मनिर्भरता की भी कहानी है।