बद्रीनाथ जी की आरती: भगवान विष्णु की दिव्य आराधना का मधुर स्वरूप

बद्रीनाथ जी की आरती
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हिमालय की गोद में स्थित चारधामों में से एक प्रमुख धाम है बद्रीनाथ। यह तीर्थ भगवान विष्णु को समर्पित है और सनातन परंपरा में इसका विशेष महत्व है। बद्रीनाथ जी की आरती को सुनना, पढ़ना या करना भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष के पथ पर अग्रसर करता है। इस लेख में हम Badrinath Ji Ki Aarti से जुड़े भाव, उसकी करने की विधि और उसके लाभों पर चर्चा करेंगे।

बद्रीनाथ जी की आरती


पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्,
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्,
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्,
जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्,
सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्,
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्,
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्,
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्,
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

॥ इति श्री बद्रीनाथ जी की आरती संपूर्णम्॥

Badrinath Ji Ki Aarti केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि भगवान विष्णु की उस दिव्यता का अनुभव है जो आत्मा को परम शांति और मुक्तिपथ प्रदान करती है। आइए, हम सभी इस आरती को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और श्री हरि की कृपा से अपने जीवन को आलोकित करें। आप चाहें तो साथ ही इन विष्णु भजनों को भी पढ़ सकते हैं जय श्री विष्णु जी भजन, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, हरे राम हरे कृष्ण भजन, श्री नारायण की महिमा।

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आरती करने की विधि

  1. प्रातः या संध्या के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल को साफ करके वहां दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, फल व आरती की थाली रखें।
  3. भगवान बद्रीनाथ जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  4. पहले ओंकार और श्री विष्णु मंत्र का जप करें।
  5. इसके बाद आरती को श्रद्धा पूर्वक गाएं या पढ़ें।
  6. आरती के दौरान दीपक घुमाएं और घंटी बजाएं।
  7. अंत में आरती के बाद प्रसाद बांटें और हृदय से भगवान का स्मरण करें।

आरती के लाभ

  • आध्यात्मिक शांति – आरती करने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  • पापों से मुक्ति – भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के पाप क्षीण होते हैं।
  • मोक्ष की प्राप्ति – बद्रीनाथ धाम और वहाँ की आरती से आत्मा को मुक्ति का मार्ग मिलता है।
  • परिवार में सुख-शांति – नियमित आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • मनोकामना पूर्ति – सच्चे मन से की गई आरती सभी इच्छाओं को पूर्ण करती है।