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मध्य प्रदेश में उद्योगों को नगरीय निकायों से नहीं लेना होगा फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत स्थापित उद्योगों को नगरीय निकायों से अलग से फायर सेफ्टी संबंधी प्रमाण पत्र नहीं लेना होगा। औद्योगिक संगठनों की मांग पर राज्य सरकार इस प्रविधान में संशोधन करने जा रही है। दरअसल, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आग लगने की घटनाओं को देखते हुए फायर सेफ्टी के प्रविधानों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए थे। इसके अनुसार उद्योगों को नोटिस दिए जा रहे थे। प्रदेश सरकार वर्ष 2025 को उद्योग वर्ष के रूप में मना रही है।

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उद्योगों को हो रही है परेशानी
विभिन्न रीजनल इन्वेस्टर्स समिट में उद्योगपतियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर नियम, प्रक्रियाओं में संशोधन किया जा रहा है। इसी कड़ी में फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के कारण उद्योगों को हो रही परेशानी को देखते हुए दिशा-निर्देश में संशोधन किया जा रहा है।

फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र अनिवार्य
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आग लगने की घटनाओं को देखते हुए नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम के तहत 15 मीटर से ऊंचे सभी भवन, एक तल पर 500 वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल पर भवन, होटल और अस्पताल के लिए फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेने अनिवार्य किया था। इसके लिए अलग-अलग स्तर पर अधिकारियों को सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया था। प्रमाण पत्र न लेने के कारण उद्योगों को नोटिस दिए गए तो उन्होंने विभाग से इसमें संशोधन करने की मांग की। सूत्रों के अनुसार, मांग को व्यावहारिक मानते हुए विभाग ने नियम में संशोधन की तैयारी शुरू कर दी है।

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प्रमाण पत्र लेने के लिए छूटी दी जाएगी
इसमें उन उद्योगों को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेने की छूट दी जाएगी, जो कारखाना अधिनियम 1948 और कारखाना नियम 1962 के अंतर्गत आते हैं। नियम में यह प्रविधान है कि फायर सेफ्टी के प्रविधान करने के बाद ही अनुमति दी जाएगी।

प्रविधान का पालन किया गया या नहीं, यह संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा देखते हैं। जब एक बार प्रक्रिया हो गई तो फिर उसे दोहराने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए निर्देश संशोधित किए जा रहे हैं।

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