

भगवान गणेश, जिन्हें प्रथम पूज्य देवता माना जाता है, बुद्धि, समृद्धि और शुभता के प्रतीक हैं। उनकी आरती करने से जीवन में सुख-शांति आती है और सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। यह लेख आपको गणेश भगवान की आरती, उसकी विधि और लाभों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

गणेश भगवान की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
सूर-श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
गणेश भगवान की आरती न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी लाती है। यदि आप अपने जीवन में शुभता और मंगल चाहते हैं, तो प्रतिदिन गणपति बप्पा की आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
गणेश भगवान की आरती की विधि
- स्वच्छ और पवित्र स्थान पर गणेश मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजा की थाली में घी का दीपक, फूल, कपूर और चंदन रखें।
- भगवान गणेश को हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
- फूल चढ़ाएँ और धूप-दीप जलाएँ।
- श्रद्धा भाव से आरती करें और आरती समाप्ति के बाद प्रसाद वितरण करें।
गणेश भगवान की आरती के लाभ
- विघ्न विनाशक – जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि – विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए अत्यंत लाभकारी।
- सौभाग्य और समृद्धि – व्यापार और करियर में उन्नति प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति – नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर मन शांत रहता है।