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दिव्य कुंभ, भव्य अखाड़े: संगम की रेती पर सनातन संस्कृति का अनूठा संगम

दिव्य कुंभ, भव्य अखाड़े: संगम की रेती पर सनातन संस्कृति का अनूठा संगम
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संगम नगरी प्रयागराज एक बार फिर महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन के लिए तैयार है। अमृत महाकुंभ के इस ऐतिहासिक अवसर पर संगम की पवित्र रेती पर सनातन संस्कृति की शैव, शाक्त और वैष्णव परंपराओं के साथ किन्नर अखाड़ा भी अपनी विशेष छटा बिखेर रहा है। यह महाकुंभ न केवल भारतीय संस्कृति का अद्वितीय प्रतीक है, बल्कि विश्व समुदाय के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है।

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अमृतमयी त्रिवेणी के स्पर्श की लालसा

महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के प्रथम शाही स्नान से होगा। इसके साथ ही 45 दिन चलने वाले इस महाआयोजन का आगाज होगा। अंतिम स्नान महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी को होगा, जिसके बाद संतों और श्रद्धालुओं का लौटना शुरू होगा।
इस महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम में डुबकी लगाने की उम्मीद है। इसके लिए प्रशासन और अखाड़ों ने मिलकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।

संगम की रेती पर सज गईं अखाड़ों की छावनियां

संगम क्षेत्र में सनातन संस्कृति की रंगीन छटा चारों ओर फैली हुई है। इस बार के महाकुंभ में कुल 14 अखाड़े शामिल हो रहे हैं। इनमें सात शैव, तीन शाक्त, तीन वैष्णव परंपरा के अखाड़ों के साथ किन्नर अखाड़ा भी अपनी छटा बिखेर रहा है।

सभी अखाड़ों की छावनियों का स्थान तय

सेक्टर-18 में काली मार्ग से त्रिवेणी मार्ग और संगम लोवर मार्ग तक सभी 14 अखाड़ों के लिए छावनियां बनाई जा चुकी हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी के अनुसार, यह अमृत महाकुंभ है और इसके लिए दुनिया भर के लोग उत्सुक हैं।

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शैव परंपरा के अखाड़े: सनातन साधना का केंद्र

शैव परंपरा के सात प्रमुख अखाड़ों ने अपनी छावनियां स्थापित कर ली हैं। इन अखाड़ों में दशनाम संन्यासियों का नेतृत्व देखने को मिलता है। इनमें अटल अखाड़ा, जून अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अह्वान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा और जूना अखाड़ा शामिल हैं।

अटल अखाड़े की पेशवाई से शुरुआत

1 जनवरी को शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़े की पेशवाई होगी। पेशवाई एक भव्य जुलूस होता है, जिसमें संत अपने अखाड़े की परंपरा और वैभव का प्रदर्शन करते हैं। अटल अखाड़े का जुलूस बख्शी बांध से छावनी तक पहुंचेगा।

वैष्णव परंपरा के अखाड़े: भक्ति और उपासना की मिसाल

महाकुंभ में वैष्णव परंपरा के तीन प्रमुख अखाड़े भी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें रामानंदी दिगंबर अखाड़ा, रामानंदी निर्वाणी अखाड़ा, और निम्बार्क अखाड़ा शामिल हैं। ये अखाड़े भक्ति, उपासना और साधना के केंद्र हैं।

शाक्त परंपरा के अखाड़े: शक्ति साधना का प्रदर्शन

महाकुंभ में तीन शाक्त अखाड़े भी भाग ले रहे हैं। इनमें भैरव अखाड़ा, महाकाली अखाड़ा, और अघोर अखाड़ा शामिल हैं। ये अखाड़े तंत्र और शक्ति साधना के लिए प्रसिद्ध हैं।

किन्नर अखाड़ा: आकर्षण का केंद्र

महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़ा भी अपनी छावनी सजाकर तैयार है। यह अखाड़ा विश्व समुदाय के लिए एक नई सोच और स्वीकार्यता का प्रतीक है। किन्नर अखाड़े की परंपराएं और धार्मिक साधना श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

निर्मल अखाड़ा: सिख समुदाय की परंपरा

महाकुंभ में सिख समुदाय के एकमात्र निर्मल अखाड़ा की छावनी भी 11 जनवरी को तैयार हो जाएगी। निर्मल अखाड़ा गुरुबानी और सिख परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है।

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महाकुंभ की तैयारियों का जायजा

प्रयागराज में महाकुंभ के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। संगम क्षेत्र को 45 करोड़ श्रद्धालुओं की सुविधा के अनुरूप विकसित किया जा रहा है।

यात्री सुविधाओं का विस्तार

संगम क्षेत्र में टेंट सिटी, शौचालय, पेयजल की व्यवस्था और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष बस और ट्रेन सेवाओं का भी संचालन किया जाएगा।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

महाकुंभ के दौरान लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और पुलिस बल की विशेष तैनाती की जा रही है।

विश्व समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव

महाकुंभ सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक विशेष आकर्षण है। विदेशों से हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु इस आयोजन में हिस्सा लेने आते हैं। संगम की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर जीवन को धन्य करने की यह परंपरा दुनियाभर के लोगों को सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित करती है।

महाकुंभ 2025: एक नजर में

  • शुरुआत: 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा)
  • अंतिम स्नान: 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि)
  • कुल श्रद्धालुओं का अनुमान: 45 करोड़ से अधिक
  • अखाड़ों की संख्या: 14 (7 शैव, 3 वैष्णव, 3 शाक्त, 1 किन्नर)
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