एम एस एम ई सेक्टर द्वारा उद्यमियों के हित हेतु सरकार को सुझाव भेजने पर हुई चर्चा

खबर को शेयर करे

वाराणसी।इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एमएसएमई सेक्टर को लेकर बहुत गंभीर हैं। यह स्वयं कहते हैं कि हमारे लिए एमएसएमई का अर्थ है, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन। यह भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी एमएसएमई सेक्टर की है। आज पूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था की गति को देखकर प्रभावित है और इस गति में बहुत बड़ी भूमिका हमारे एमएसएमई सेक्टर की है। इसलिए एमएसएमई आज माइक्रो इकोनामी की मजबूती के लिए जरूरी हैं। आज भारत जितना निर्यात कर रहा है, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा एमएसएमई सेक्टर का है। इसलिए एमएसएमई आज अधिकतम एक्सपोर्ट के लिए जरूरी हैं। एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने के लिए सरकार ने बजट में बहुत बढोतरी की है। इस सेक्टर से 11 करोड़ से भी अधिक लोग डायरेक्ट व इनडायरेक्ट जुड़े हुए हैं। इसलिए एमएसएमई आज अधिकतम रोजगार के लिए बहुत जरूरी हैं।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की पहल पर द स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन तथा रामनगर इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से औद्योगिक विकास में आ रहीं कठिनाइयों तथा उसका निराकरण एवं भारत सरकार के आने वाले बजट के लिए भेजे जाने वाले सुझावों पर एक चिंतन बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि उद्योग के लिए प्रदेश में योगी सरकार की अगुवाई में एक सुखद वातावरण दिख रहा है। भयमुक्त, स्वच्छंद होकर उद्यमी आगे बढ़ रहा है। उद्योग मित्र सरकार एवं अनुकूल वातावरण होने के बावजूद कुछ कमियों को नकारा नहीं जा सकता है। आनलाइन व्यवस्था की जटिलताएं तथा अधिकारियों की उदासीनता उद्यम की राह में बाधा बन रही हैं। उद्यमी की कार्य क्षमता का उपयोग उत्पादन बढ़ाने के बजाय सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने में लग रहा है। अग्निशमन, प्रदूषण, उद्योग, पूपी सीडा, जीएसटी आदि विभागों में ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था होने के बावजूद बिना कार्यालय के चक्कर लगाए कोई काम नहीं हो रहा है। सरकारी विभाग के अधिकारियों को सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाने तथा निवेश मित्र पोर्टल के सरतीकरण से ही उद्योगों का विकास संभव है। लाइसेंस प्रक्रिया केंद्रीकृत होना चाहिए। उद्योग स्थापना के पंजीकरण के बाद विभागों की लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी तय हो। जांच पड़ताल के बाद लाइसेंस निर्गत अवधि तय हो। एसोसिएशन इसको सरकार तक
पहुंचाएगा। उम्मीद है कि इसका निराकरण होगा और उद्योग को फलक मिलेगा। बैठक के आरंभ में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वाराणसी चैप्टर के अध्यक्ष मनीष कटारिया ने उद्यमियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस चिंतन बैठक के निर्णयों से सरकार को अवगत कराते हेतु प्रत्येक संबंधित विभागों के मंत्रालयों को समस्याओं एवं उसके निराकरण का पत्र भेजा जाएगा। आयकर तथा जीएसटी संबंधित समस्याओं को वित्त मंत्रालय को प्रेषित किया जाएगा।

इसे भी पढ़े -  डेढ़ लाख रुपये के अवैध शराब के साथ एक तस्कर को मिर्जामुराद पुलिस ने किया गिरफ्तार भेजा जेल,दो तस्कर हुए फरार फर्जी नम्बर प्लेट लगी वाहन हुई सीज

दी स्मात इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटिया ने श्रम कानूनों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर उनके स्थान पर चार नए लेबर कोड लाने की पहल की गई है परंतु यह कब तक प्रभावी होगा, इसके बारे में अभी अनिश्क्षितता बनी हुई है। श्रमिकों की मजदूरी उनकी उत्पादकता के हिसाब से तय होनी चाहिए। नियोक्ता को नाकारा, श्रमिकों को हटाने का अधिकार होना चाहिए। इससे उद्योगों में उत्पादकता की वृद्धि होगी। बड़े उद्योगों तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों हेतु

श्रम कानून अलग-अलग होने चाहिए। सूक्ष्म एवं लघु उद्योग जो मात्र 1000 वर्ग मीटर भूखंड में लगे हो तथा कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 50 से ज्यादा न हो। छोटे उद्योगों हेतु नियमों में शिथिलता होनी चाहिए। इसी प्रकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम आज पूरे प्रदेश में आच्छादित है। जिन स्थानों में कर्मचारियों के इलाज के लिए अस्पताल भी उपलब्ध नहीं है वहां पर भी उद्यमी तथा कर्मचारी ईएसआईसी का भुगतान कर रहे हैं। सरकार द्वारा देश की काफी आबादी हेतु पांच लाख तक की सीमा के आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। छोटे उद्योगों के कर्मचारियों को भी इस योजना से जोड़ दिया।जाए तथा इन छोटे उद्योगों को ईएसआईसी के अनुपालन से मुक्ति प्रदान की जानी चाहिए। रामनगर इंडस्ट्रीयत एसोसिएशन के महामंत्री श्री राकेश जायसवाल ने कहा कि निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से किए जाने वाले फैक्ट्री एक्ट रजिस्ट्रेशन, अग्निशमन विभाग से एनओसी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग से लाइसेंस आदि की प्रक्रिया काफी जटित है। इसी प्रकार यूपी सीडा तथा राजकीय औद्योगिक आस्थानों में भू स्थानांतरण तथा नक्शा सबमिट करने की प्रक्रिया भी इतनी जटित है उद्यमी द्वारा किए जाने के बस की नहीं है। निवेश मित्र पोर्टल को उद्यमी फ्रेंडली बनाने की आवस्यकता है जिससे उद्यमी बिना विभागीय अधिकारियों की मदद के आसानी से इसका उपयोग कर सके। यूपीसीडा तथा इंडस्ट्रीयल इस्टेट के औद्योगिक भूखंडों को फ्री होल्ड किए जाने की आवश्यकता है जिससे उद्योग निर्वाध रूप से चल सकें तथा विभागीय उत्पीड़न से बच सकें, ओधोगिक भूखंडों को फ्री होल्ड किए जाने से उद्योग लगाने हेतु जमीन की उपलब्धता भी बढ़ेगी। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वाराणसी डिवीजन के चेयरमैन श्री अनुपम देव ने आयकर विभाग की ही तरह जीएसटी के रिफंड की प्रक्रिया को भी पारदर्शी किए जाने की बात कही। उन्होंने जीएसटी संबंधित जटितताओं की चर्चा करते हुए कहा कि जीएसटी में पंजीकृत विक्रेता द्वारा जीएसटी ना जमा किए जाने की स्थिति में पंजीकृत क्रेता को वर्षों बाद द्वारा 24% व्याज के साथ वसूली की नोटिस भेजना ना ही तर्कसंगत है ना ही वैधानिक है क्योंकि क्रेता ने विक्रेता को मय जीएसटी उसके बिलों का भुगतान कर दिया है तथा विक्रेता द्वारा जीएसटी 1 पोर्टल पर बिक्री सत्यापित भी की गई है। ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि विक्रेता द्वारा जीएसटी ना जमा करने की स्थिति में अगले माह ही पोर्टल पर परिलक्षित होना चाहिए जिससे क्रेता सजग हो जाएगा। उद्यमियों पर इस तरह का उत्पीड़नबंद होना चाहिए तथा आयकर विभाग की तरह जीएसटी में भी रिटर्न दाखिल होने के तीन माह के अंदर ही आवश्यक नोटिस पोर्टल पर जारी करने की प्रक्रिया अपनाने से पारदर्शिता बनी रहेगी। उन्होंने सरकार से मांग की की प्रोपराइटरशिप तथा पार्टनरशिप एमएसएमई को भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह ही आयकर प्रावधानों के अंतर्गत रखा जाए। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की मिर्जापुर तथा आजमगढ़ मंडल के डिविजनल चेयरमैन प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भारत सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे कार्यालय द्वारा प्रतिवर्ष वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण विवरण की मांग की जाती है ऐसी व्यवस्था की जाए कि विभाग स्वयं ही जीएसटी, श्रम, आयकर आदि पोर्टल से विवरण एकत्र कर ले जिससे उद्यमियों को पोर्टल पर जा कर स्वं विवरण न भरना पड़े। इससे अनावश्यक उद्यमियों का समय खराब होता है। द स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव श्री नीरज पारीक ने इंडस्ट्रियल एरिया तथा अन्य स्थानों पर जहां भी क्लस्टर में उद्योग लगे हो वहां प्रदूषण नियंत्रण हेतु सरकार द्वारा कॉमन ई टी पी लगाने की बात कही इससे उद्यमी पर्यावरण विभाग के उत्पीड़न से बचा रहेगा। सरकार द्वारा घोषित रेड कैटिगरी वाली खतरनाक इकाइयों को छोड़कर एक हजार वर्ग मीटर में स्थापित छोटी इकाइयों को अग्निशमन तथा प्रदूषण की एन ओ सी स्वयं प्रमाणन के आधार पर जारी की जानी चाहिए। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की राष्ट्रीय फूड कमेटी के अध्यक्ष श्री दीपक बजाज में 1 किलो से 25 किलो तक के आटा मैदा सूजी पर लगने वाला 5% जीएसटी वह प्रासंगिक बताते हुए कहा कि जब इसके कच्चे माल गेहूं पर जीएसटी नहीं है तो आटा मैदा सूजी पर 5% जीएसटी लगाने का कोई अचित नहीं है इसे सिर्फ आदमी की रोटी महंगी होती है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइ‌यों को मंडी शुल्क से छूट मिलनी चाहिए। एक राष्ट्र एक मूल्य के दुष्प्रभाव के कारण उत्तर प्रदेश में रोलर फ्लोर मिल संकट में है सरकार को इस पर पुनर्विचार कर पूर्व की बात गेहूं उत्पादक राज्यों से भाड़ा जोड़कर दरो का निर्धारण करना चाहिए इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन वाराणसी चैप्टर के सचिव गौरव गुप्ता ने भूगर्भ जल विभाग द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न का जिक्र करते हुए कहा कि उद्योग द्वारा मात्र 6 प्रतिशत भूगर्भ जल का उपयोग किया जाता है तथा 90 प्रतिशत से ज्यादा उद्योगों में उनके उत्पादन में जल का कोई उपयोग नहीं होता, भूगर्भ जल का उपयोग मात्र कर्मचारियों के पीने तथा टॉयलेट के प्रयोग में होता है। इन उद्योगों को भूगर्भ जल विभाग में रजिस्ट्रेशन की जटिल प्रक्रिया से मुक्ति प्रदान की जाए तथा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल की तर्ज पर हर कारखाने नल भी शुरू की जाए इससे उद्योगों में बोरवेल से पानी लेने की प्रक्रिया बंद हो जाएगी।

इसे भी पढ़े -  वाराणसी के काशी विद्यापीठ में नहीं होंगे छात्रसंघ चुनाव

टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राहुल मेहता ने कहा कि विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण के दौरान की गई ख़रीदारी पर जो जीएसटी लगायी जाती है उसको छूट देनी चाहिए, विगत पांच वर्षों से भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद भी इस्पर काम नहीं हो पाया है। सुझाव है कि उक्त छूट को ट्रेडर्स या दुकानदार को दी जाए जो डीम्ड एक्सपोर्ट के रूप दी जा सकती है। पूर्वांचल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कहा कि वाराणसी में डीजीएफटी आफिस के सुचारू संचालन की व्यवस्था बने तथा ईसीजीसी को मिनिमम प्रीमियम की बाध्यता हटा लेनी चाहिए जिससे छोटे निर्यातक भी इसका लाभ उठा सकें। विदेश व्यापार के लिए ईसीजीसी की तर्ज पर ही डोमेस्टिक व्यापार के लिए डीसीजीसी की स्थापना की जानी चाहिए। वरिष्ठ उद्यमी श्री उमाशंकर अग्रवाल ने कहा किकई वस्तुओं पर भ्रामक जीएसटी की दरे है, उदाहरण 1000 रुपये मूल्य के नीचे रेडीमेड कपड़ो पर जीएसटी पांच प्रतिशत तथा 1000 मूल्य से ऊपर जीएसटी 12 प्रतिशत। जबकि दोनों एक ही दुकान पर दोनों बिकता है। इसी प्रकार रेडिमेड कपडे पर जीएसटी 12 हैंडलूम कपड़ों पर जीएसटी 5 प्रतिशत है, जो अधिकारियों के स्व विवेक के निर्णय पर भ्रष्टाचार को जन्म देता है तथा व्यापारी अनावश्यक ही उत्पीड़न का शिकार बनता है। उत्तर प्रदेश कोरूगेटेड बाक्स मैन्युफैक्वरर्स एसोसिएशन वाराणसी के अध्यक्ष मोहम्मद सादिक ने जीएसटी की दरों में विसंगति की बात करते हुए कहा कि कोरूगेटेड पेपर पैकिंग बॉक्स पर जीएसटी की दर 18% है जबकि इसका रों मैटेरियल जैसे क्राफ्ट पेपर डुप्लेक्स बोर्ड इत्यादि पर जीएसटी की दर 12% है इस तरह कोरूगेटेड पेपर पैकिंग बॉक्स पर भी जीएसटी की दर 12 प्रतिशत ही होनी चाहिए। पूजा सामग्री के निर्माता उद्यमी श्री अमित गुप्ता ने बताया कि पूजा हेतु गंगाजल पर जीएसटी की दर में स्पष्टता नहीं है। पीवीसी पाइप के निर्माता उद्यमी श्री दिनेश जैन ने कहा कि विद्युत विभाग में नया कनेक्शन लेने तथा कनेक्शन विच्छेदन प्रक्रिया को आसान किया जाना चाहिए।इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सरकार तक पहुंचाएगा इन मांगो को पहुचायेगा

इसे भी पढ़े -  भाई की मौत का दुख भूल ड्यूटी का फर्ज निभाने पहुंचे अलीनगर थाना प्रभारी

सुनिश्चत हो केंद्रीयकृत लाइसेंस प्रक्रिया

एकल खिड़की से समस्याओं का हो निस्तारण

निवेश मित्र पोर्टल को और बनाया जाय आसान बिजली का कनेक्शन व विच्छेदन हो सुगम

जीएसटी की त्रुटिया व विविधता हो समाप्त

  • यूपीसीडा तथा इंडस्ट्रीयल इस्टेट के औद्योगिक भूखंड हो फ्री होल्ड बड़े उद्योग तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए अलग अलग हो कानून