भैरव आरती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है, जिसे भगवान भैरव के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गाया जाता है। भगवान भैरव, जो भगवान शिव के रूप माने जाते हैं, को विशेष रूप से साधकों की रक्षा करने और मानसिक शांति देने वाला देवता माना जाता है। यह आरती श्रद्धालुओं को उनकी समस्याओं से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करती है। भैरव आरती का जाप करने से व्यक्ति को भय, तनाव, और दुखों से छुटकारा मिलता है, और वह अपने जीवन में नये उत्साह और ऊर्जा का अनुभव करता है। इस आरती के माध्यम से भगवान भैरव से आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा बहुत पुरानी है और आज भी यह धार्मिक अनुष्ठान बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है।
भैरव आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा…
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक…
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी…
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे…
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी…
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत…
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे…
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
भैरव आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक मानसिक शांति और आत्मविश्वास का स्रोत भी है। जब हम भगवान भैरव की पूजा करते हैं और इस आरती का पाठ करते हैं, तो हम अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर करने और जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। भैरव की कृपा से हमारा जीवन खुशहाल और सुरक्षित होता है। अतः, इस आरती का नियमित पाठ हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति ला सकता है। हमेशा भगवान भैरव की आशीर्वाद से हमें नयी ऊर्जा और साहस मिलती है, जो हमें जीवन के हर कठिनाई से उबरने की ताकत देती है।