नर्मदा आरती एक दिव्य और भव्य धार्मिक अनुष्ठान है, जो नर्मदा नदी के किनारे विशेष रूप से होती है। नर्मदा नदी को भारत में माँ के रूप में पूजा जाता है, और यह भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा मानी जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु नर्मदा नदी के घाटों पर आकर इस आरती में भाग लेते हैं, जो न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। नर्मदा आरती की ध्वनियाँ, उसके मन्त्र और संगत संगीत एक भक्त को गहरी शांति और आत्मिक संतोष प्रदान करते हैं। यह आरती नर्मदा नदी के प्रति श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने भीतर की शांति की खोज में मदद करती है।
नर्मदा जी की आरती
ॐ जय जगदानन्दी,मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवाशिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
देवी नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी ।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि शारद पदवाचन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
देवी धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती।
झुमकत-झुमकत-झुमकत, झननन झमकत रमती राजन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती ।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान, तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
देवी सकल भुवन पर आप विराजत, निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर तुम भट मेटन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
मैयाजी को कंचन थार विराजत, अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत, घाटन घाट बिराजत, कोटि रतन ज्योति ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी ॥
मैया जी की आरती, निश दिन पढ़ गावरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे, भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हरि नंद स्वामी मनवांछित पावे॥
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
नर्मदा आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मिक शांति, भक्ति और समर्पण का अद्भुत संगम है। इस आरती में शामिल होने से हमें न केवल नर्मदा नदी से जुड़ी आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाती है। यह आरती हमें अपने भीतर के दुःख और अशांति को दूर करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है। नर्मदा माता की कृपा से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो, यही हमारी कामना होनी चाहिए।