शनिवार को राजकोट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारी मानसूनी बारिश के बीच एक हादसा हुआ, जब यात्रियों को लाने-ले जाने वाले क्षेत्र की छतरी गिर गई। सौभाग्य से, इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है। यह घटना दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 की छत गिरने के एक दिन बाद हुई है, जिसमें एक टैक्सी चालक की दुखद मृत्यु हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
दिल्ली और राजकोट, दोनों ही स्थानों पर छत गिरने की घटनाओं ने हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारी बारिश के कारण छतों का गिरना इन बुनियादी ढांचों की कमजोरियों को उजागर करता है। ऐसी घटनाएं न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनती हैं बल्कि हवाई अड्डों की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिह्न लगाती हैं।
हवाई अड्डा प्राधिकरण को इन घटनाओं की गहन जांच करानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस दिशा में ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
भारी बारिश के दौरान हवाई अड्डों के संरचनात्मक हिस्सों की नियमित जांच और मरम्मत कार्य किए जाने चाहिए ताकि किसी भी संभावित दुर्घटना से बचा जा सके। इस प्रकार की घटनाएं हवाई अड्डों के संचालन और सुरक्षा मानकों को सुधारने के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जानी चाहिए।