‘लगे हाथ महाराष्ट्र,झारखंड-यूपी उपचुनाव घोषित कर देते’
स्पष्ट करें प्रधान से PM तक के चुनाव साथ होंगे
या हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए सुविधानुसार?
कहीं चुनाव का निजीकरण तो नहीं होगा
‘चयनित सरकार गिराई जाएगी तो क्या देश के चुनाव फिर होंगे?’
इसे लागू करने के लिए सांविधानिक संशोधन करने होंगे
या महिला आरक्षण की तरह उछाला गया जुमला है?
पहले बीजेपी अपने संगठन का चुनाव कराए
अपने चुनाव के बाद देश के चुनाव की बात करें