वाराणसी। दुनिया का सबसे पुराना व जीवंत शहर बनारस कई मामलों में निराला है। यहां कई ऐसे धार्मिक आयोजन होते हैं जिन्हें देखने जानने के लिए लोग लालायित रहते हैं।बनारस में ही छोटी ईद का मेला लगता है। इसी दिन हजरत तैयब शाह बनारसी का उर्स भी मनाया जाता है। दरगाह के खादिम मोहम्मद अब्दुल सलाम रसीदी एवं मैनेजर मोहम्मद अकरम की निगरानी में लगे मेले में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से भी अकीदतमंद पहुंचे थे।
मंडुवाडीह स्थित हजरत तैयब शाह बनारसी के उर्स की रौनक को छोटी ईद ने दूना कर दिया। बुधवार को दरगाह पर मेले जैसी रौनक थी। यहां छोटी ईद का मेला लगा था। एक ओर जहां आस्ताने पर जियारत करने और चादर चढ़ाने का सिलसिला चला तो दूसरी ओर दरगाह परिसर में लगी खिलौनों की दुकानों और झूलों पर बच्चे मस्ती करते नजर आए।
बनारस में ही छोटी ईद का मेला लगता है। इसी दिन हजरत तैयब शाह बनारसी का उर्स भी मनाया जाता है। दरगाह के खादिम मोहम्मद अब्दुल सलाम रसीदी एवं मैनेजर मोहम्मद अकरम की निगरानी में लगे मेले में खिलौने, व्यंजनों, श्रृंगार प्रसाधन, फूलमाला आदि के करीब दो सौ स्टाल लगे थे। महिलाओं और बच्चों की खासी भीड़ रही। चुनार के बिस्कुट, बड़ी बाजार के नमकीन पराठा, पकौड़ी की दुकानों पर खासी भीड़ थी। इशां की नमाज के बाद कुल शरीफ हुआ। देर रात तक चादरपोशी, गुलपोशी व फातिहा पढ़ने का सिलसिला चला। देर रात कव्वाली की महफिल सजी। कव्वालों ने बाबा की शान में कलाम पेश किए। भीड़ की वजह से मंडुवाडीह क्षेत्र में जाम लगा था।
मदरसा दारुल उलूम तैयबिया मोइनिया दरगाह शरीफ मडुआडीह के प्रिंसीपल मौलाना मोहम्मद अब्दुस्सलाम रशीदी ने बताया कि छोटी ईद मनाने का सिलसिला कब शुरू हुआ यह ठीक-ठीक कह पाना मुश्किल है। मगर उन्होंने जब से होश संभाला लोगों को छोटी ईद मनाते देखते आ रहे हैं।