
चहनियां। मारूफपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार की देर शाम को कथा व्यास आचार्य गणेश त्रिपाठी जी महाराज ने बताया कि किस तरह देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के पैदा होने के बाद वासुदेव जी महाराज भगवान कृष्ण को बदलकर उनकी जगह पर योग माया को लेकर आए। भगवान कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया की गोद में देकर आ गए। यशोदा मैया की गोद में तो कन्या पैदा हुई थी। भगवान की लीला हुई। वासुदेव जी को आकाशवाणी से आदेश हुआ कि लाला को नंद बाबा के घर यशोदा मैया के पास छोड़कर कन्या को लेकर वापस कंस की जेल में आना है।नंदलाल के पैदा होने की खुशी में नंद बाबा के यहां उत्सव शुरू हो गया। बधाई देने वालों का तांता लग गया। इधर कंस को जब पता चला कि देवकी के आठवां बच्चा पैदा हो गया है। उन्होंने बच्ची को मारने की जब कोशिश की। वह योगमाया का रूप लेकर आकाश में चली गई। वहां उन्होंने भविष्यवाणी की कि तेरे मारने वाला तो गोकुल में पैदा हो चुका है। कंस ने सभी नए जन्मे बच्चों को मारने के लिए पूरी कोशिश की परंतु वह किसी भी तरह भगवान कृष्ण का बाल भी बांका नहीं कर पाए। इस तरह से बहुत सारे अत्याचार किए परंतु भगवान अपने बाल रूप में अनेक लीलाएं करते आगे बढ़ते गए। भगवान कृष्ण का रुक्मिणी मैया के साथ विवाह की कथा सुन रहे सभी लोग मन्त्र मुग्ध हुए।
इस दौरान डॉ कृपाशंकर पाण्डेय, आनंद तिवारी सोनू, अमित पाण्डेय, चन्दन जायसवाल, प्रेमशंकर मिश्रा, रामकृपाल सिंह, दिनेश मिश्रा, कपिलदेव मिश्रा, उदय शंकर मिश्रा, कल्पनाथ प्रजापति, राधेश्याम यादव सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
ब्यूरोचीफ गणपत राय