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देवभूमि में बिजली दरों में बढ़ोतरी: अगले साल से लागू होंगी नई दरें

देवभूमि में बिजली दरों में बढ़ोतरी: अगले साल से लागू होंगी नई दरें
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उत्तराखंड में बिजली की दरें एक बार फिर बढ़ने की संभावना है। प्रदेश के लोगों के लिए बिजली महंगी होने की खबर आई है, जिससे हर घर पर आर्थिक भार बढ़ सकता है। उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने बिजली दरों में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव यूपीसीएल के बोर्ड ने मंजूरी के बाद उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। अगर यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो नई दरें अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2024 से लागू होंगी।

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यूपीसीएल ने भेजा प्रस्ताव

यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि पावर कॉर्पोरेशन ने बिजली दरों में बदलाव का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज दिया है। अब यह आयोग पर निर्भर करता है कि वह इस प्रस्ताव का अध्ययन करे और इसे आगे की प्रक्रिया के लिए स्वीकार करे।

यूपीसीएल को यह प्रस्ताव 30 नवंबर तक दायर करना था, लेकिन उत्तर प्रदेश के जमाने से लंबित 4300 करोड़ रुपये के हिसाब के कारण यह प्रक्रिया अटक गई। हालांकि, नियामक आयोग ने यूपीसीएल को पहले 16 दिसंबर और फिर 26 दिसंबर तक का समय दिया। बृहस्पतिवार को हुई बोर्ड बैठक में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी पर मुहर लगाई गई।

जनसुनवाई के बाद तय होंगी नई दरें

नियामक आयोग के पास भेजे गए इस प्रस्ताव पर आयोग के विशेषज्ञों द्वारा गहन अध्ययन किया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद आयोग जनसुनवाई आयोजित करेगा, जिसमें जनता और अन्य हितधारकों से सुझाव लिए जाएंगे। इन सुझावों और प्रतिक्रियाओं के आधार पर नई दरें तय की जाएंगी। नियामक आयोग का अंतिम निर्णय आने के बाद ही प्रदेश में बिजली की नई दरें लागू होंगी।

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15 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं दरें

यूपीसीएल ने जहां 12 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है, वहीं राज्य की अन्य बिजली कंपनियां भी अपने टैरिफ में बदलाव की मांग कर रही हैं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) ने अपने टैरिफ को 2.33 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 2.83 रुपये करने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही, पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) ने भी बढ़ोतरी का सुझाव दिया है। यदि इन सभी कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है, तो प्रदेश में बिजली की दरों में कुल बढ़ोतरी 15 प्रतिशत से अधिक हो सकती है।

बिजली महंगी होने का कारण

बिजली की बढ़ती दरों के पीछे कई कारण हैं। यूपीसीएल के अनुसार, बिजली उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। कोयले और अन्य ऊर्जा स्रोतों की कीमतों में इजाफा हुआ है। साथ ही, ट्रांसमिशन और वितरण लागत भी बढ़ गई है। इन सबके कारण यूपीसीएल को अपने खर्च पूरे करने के लिए दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव देना पड़ा।

जनता पर पड़ेगा प्रभाव

बिजली की दरों में वृद्धि से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। खासकर, मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों पर इसका बड़ा असर होगा। बिजली का इस्तेमाल हर घर, दुकान, और उद्योग के लिए अनिवार्य है। दरें बढ़ने से घर के बजट में बदलाव करना पड़ेगा।

सरकार की भूमिका

हालांकि, बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के बीच प्रदेश सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। सरकार चाहे तो सब्सिडी देकर जनता पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम कर सकती है। अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।

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जनता की प्रतिक्रिया

बिजली की दरें बढ़ाने के प्रस्ताव पर आम जनता ने नाराजगी जताई है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले ही महंगाई से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक और झटका होगा। वहीं, उद्योगपतियों और व्यापारियों ने भी इसे आर्थिक विकास पर असर डालने वाला बताया है।

क्या है आगे की प्रक्रिया?

नियामक आयोग अब इस प्रस्ताव का विस्तार से अध्ययन करेगा। सभी पक्षों के विचार लेने के बाद ही नई दरें तय की जाएंगी। जनता की भागीदारी और सुझाव इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा होंगे। आयोग इस पर फरवरी या मार्च तक फैसला ले सकता है।

बिजली बचाने की जरूरत

बढ़ती बिजली दरों के बीच यह आवश्यक है कि उपभोक्ता बिजली की खपत में सावधानी बरतें। ऊर्जा की बचत से न केवल बिल कम किया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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