RS Shivmurti

2030 तक नए घर खरीदने वालों में मिलेनियल्स और जेनरेशन Z का बढ़ता दबदबा

2030 तक नए घर खरीदने वालों में मिलेनियल्स और जेनरेशन Z का बढ़ता दबदबा
खबर को शेयर करे
RS Shivmurti

भारतीय रियल एस्टेट बाजार में एक बड़ा बदलाव सामने आ रहा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक नए मकान खरीदने वाले लोगों में 60 फीसदी हिस्सा मिलेनियल्स और जेनरेशन Z का होगा। यह बदलाव सिर्फ बाजार में युवाओं की बढ़ती हिस्सेदारी को नहीं दिखाता, बल्कि रियल एस्टेट के दृष्टिकोण को भी नए तरीके से परिभाषित करता है। शहरीकरण की तेज़ रफ्तार, तकनीकी नवाचार, और सरकार की ओर से सस्ते वित्तपोषण विकल्पों की उपलब्धता से यह क्षेत्र पूरी तरह से विकसित होने के लिए तैयार है।

RS Shivmurti

मिलेनियल्स और जेनरेशन Z का नया रुझान

मिलेनियल्स और जेनरेशन Z भारतीय रियल एस्टेट बाजार में बड़ा बदलाव लाने वाले हैं। मिलेनियल्स वह पीढ़ी हैं जो 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए, और जेनरेशन Z वे हैं जो 1990 के मध्य से लेकर 2010 के दशक की शुरुआत के बीच जन्मे हैं। इन पीढ़ियों की जीवनशैली और प्राथमिकताएं पूरी तरह से बदल चुकी हैं, और इनकी बढ़ती शक्ति के कारण अब रियल एस्टेट कंपनियां इनकी आवश्यकताओं और इच्छाओं के हिसाब से अपने उत्पादों और सेवाओं को ढाल रही हैं।

आजकल के युवा घर खरीदने के लिए केवल एक स्थिर आवास नहीं चाहते, बल्कि वे ऐसे स्मार्ट और कनेक्टेड घरों की तलाश कर रहे हैं, जो उनके डिजिटल जीवनशैली के अनुरूप हों। स्मार्ट होम्स, सस्टेनेबिलिटी, और कम ऊर्जा खपत के पहलू इनकी प्राथमिकता में हैं। इसके अलावा, सस्ते वित्तपोषण विकल्प और सरकार की ओर से दी जा रही विभिन्न सब्सिडी इन युवाओं के लिए रियल एस्टेट बाजार में प्रवेश को और अधिक सुलभ बना रही हैं।

इसे भी पढ़े -  सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में प्रभावी पूंजीगत व्यय का केवल 37.28% किया उपयोग

शहरी क्षेत्रों में बढ़ते घर मालिकाना के आंकड़े

2025 तक शहरी क्षेत्रों में मकानों का मालिकाना औसत बढ़कर 72 फीसदी तक पहुंच जाएगा, जो 2020 में 65 फीसदी था। यह वृद्धि शहरीकरण की रफ्तार और बढ़ती मध्यम वर्गीय आबादी की वजह से होगी, जो घर खरीदने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। पहले जहां घरों का मालिकाना सीमित वर्ग तक ही था, अब आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे नए वर्ग के कारण ये आंकड़े तेजी से बदल रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2024 में 2023 के मुकाबले 85 फीसदी अधिक मकान बिकने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि रियल एस्टेट बाजार में खरीदारी की रफ्तार काफी बढ़ी है और इस विकास में युवाओं की बड़ी भूमिका है।

छोटे शहरों का बढ़ता प्रभाव

भारत में रियल एस्टेट का भविष्य अब सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है। तेजी से शहरीकरण के कारण छोटे शहर भी विकास के नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। टियर-2 और टियर-3 शहरों में 2025 तक 40 फीसदी नए मकान बनाए जाने की संभावना है। इनमें जयपुर, इंदौर, कोच्चि जैसे शहर प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन शहरों में तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है, जिससे लोग अब बड़े शहरों के मुकाबले छोटे शहरों में अपने घर बनाने का विकल्प भी देख रहे हैं।

अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों के साथ, छोटे शहरों में रियल एस्टेट के विकास की गति तेज़ हो रही है, और यहां की बढ़ती मध्यम वर्गीय आबादी का रुझान रियल एस्टेट खरीदारी में भी बढ़ता जा रहा है।

इसे भी पढ़े -  शेयर बाजार की मजबूत वापसी: सेंसेक्स 500 अंक से ज्यादा उछला, निफ्टी में भी तेजी

रियल एस्टेट क्षेत्र का जीडीपी में योगदान बढ़ेगा

रियल एस्टेट क्षेत्र भारतीय जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देने जा रहा है। जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक घरेलू आवासीय क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 13 फीसदी तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, 2030 तक इस क्षेत्र का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो इस उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र पहले से ही एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसका योगदान और बढ़ेगा। इसमें जनसांख्यिकीय बदलाव, नीतिगत सुधार, और वैश्विक रुझानों का प्रभाव भी देखा जाएगा।

ग्रीन बिल्डिंग्स का उदय

जहां एक ओर रियल एस्टेट का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका पर्यावरणीय प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ग्रीन बिल्डिंग्स की मांग में भी इजाफा हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक ग्रीन प्रमाणित इमारतों की हिस्सेदारी 30 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2020 के 15 फीसदी से दोगुनी होगी।

यह कदम न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए है, बल्कि इसमें ऊर्जा की बचत, जल संरक्षण और अन्य संसाधनों का बेहतर उपयोग भी शामिल है। ऐसे घर अब न केवल एक स्थिर आवास प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी प्रदर्शन कर रहे हैं।

आवासीय बाजार में आने वाले परिवर्तन

2030 तक भारत का रियल एस्टेट बाजार काफी हद तक बदल चुका होगा। सरकार की ओर से चलाए जा रहे सस्ते आवास कार्यक्रमों और शहरीकरण के प्रभाव के कारण, यह बाजार युवा पीढ़ी के लिए आकर्षक बनेगा। मिलेनियल्स और जेनरेशन Z की बढ़ती हिस्सेदारी रियल एस्टेट उद्योग में एक नया अध्याय जोड़ेगी, जिससे यह उद्योग न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होगा।

इसे भी पढ़े -  केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, सुरक्षा में चूक का मामला आया सामने

आवासीय बाजार में इन बदलावों के साथ, ग्राहकों के रुझान भी बदलेंगे। लोग अब केवल निवेश के रूप में घर नहीं खरीदेंगे, बल्कि वे अपने जीवनशैली, स्थिरता, और तकनीकी जरूरतों को भी ध्यान में रखते हुए घर खरीदेंगे।

Jamuna college
Aditya