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बीमा कंपनियों की पॉलिसी में कितना मिलता है लाभ? इरडा की रिपोर्ट में खुलासा

बीमा कंपनियों की पॉलिसी में कितना मिलता है लाभ? इरडा की रिपोर्ट में खुलासा
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जब हम बीमा खरीदते हैं, तो हमारा मुख्य उद्देश्य यह होता है कि संकट के समय हमें पर्याप्त कवर और राहत मिले। लेकिन एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों से वसूले गए प्रीमियम का केवल एक हिस्सा ही क्लेम के रूप में देती हैं। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की रिपोर्ट के अनुसार, बीमा कंपनियां 100 रुपये का प्रीमियम लेकर सिर्फ 86 रुपये का क्लेम देती हैं, और कुछ कंपनियों का यह आंकड़ा तो 56 रुपये तक सीमित है। यह तथ्य न केवल बीमा बाजार की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि आम जनता के बीच बीमा को लेकर विश्वास भी कम कर सकता है।

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बीमा कंपनियों का प्रीमियम और क्लेम का अंतर

भारतीय बीमा उद्योग में ग्राहक सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठ रही हैं। इरडा की रिपोर्ट में बताया गया कि, 2023-24 में सामान्य बीमा कंपनियों ने पॉलिसीधारकों को दावे के तौर पर 76,160 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 18 फीसदी अधिक है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हर पॉलिसीधारक को समान रूप से लाभ हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, 100 रुपये के प्रीमियम पर 86 रुपये का क्लेम मिलता है, जो कि बीमा कंपनियों की नीतियों पर सवाल उठाता है। खासकर तब जब कुछ कंपनियों का आंकड़ा तो और भी कम है—100 रुपये के प्रीमियम पर केवल 56 रुपये का क्लेम!

इरडा की इस रिपोर्ट ने बीमा ग्राहकों को अपनी पॉलिसी की बारीकी से जांचने का एक कारण दे दिया है। अगर आप किसी बीमा पॉलिसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह जरूरी हो गया है कि आप कंपनी के दावों और प्रीमियम के अनुपात को ध्यान से समझें।

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2023-24 में बीमा कंपनियों का प्रदर्शन

बीमा कंपनियों ने 2023-24 में कुल 83 फीसदी दावों का निपटान किया, जबकि 11 फीसदी दावे खारिज कर दिए गए। इस दौरान 6 फीसदी दावे लंबित रहे, जिन्हें 31 मार्च 2024 तक निपटाने की योजना बनाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने कुल 2.69 करोड़ स्वास्थ्य दावों का निपटान किया और 83,493 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

औसत प्रति क्लेम राशि 31,086 रुपये रही, जो कि अधिकांश बीमा धारकों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ा है। इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि प्रीमियम और क्लेम के निपटान का औसत क्रमशः 100 फीसदी और 80 फीसदी के बीच ठीक-ठाक है। हालांकि, यह आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि सभी बीमा कंपनियां समान रूप से कार्य नहीं कर रही हैं, और कुछ कंपनियों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक है।

थर्ड पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान

पॉलिसीधारकों के दावे के निपटान में थर्ड पार्टी (टीपीए) की बड़ी भूमिका रही है। 2023-24 में कुल दावों का 72 फीसदी हिस्सा थर्ड पार्टी द्वारा निपटाया गया। इसका मतलब यह है कि बीमा कंपनियां अपने दावों को सीधे निपटाने के बजाय, बाहरी एजेंसियों के माध्यम से निपटा रही हैं। केवल 28 फीसदी दावे ही कंपनियों ने अपने तरीके से निपटाए।

इसके अलावा, 66.16 फीसदी दावे कैशलेस तरीके से निपटाए गए, जबकि 39 फीसदी मामलों में रिइंबर्समेंट दिया गया। कैशलेस निपटान का तरीका बीमा धारकों के लिए सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन इसमें भी कई बार कंपनी की शर्तें और नियम जटिल होते हैं, जिनसे ग्राहक सही तरीके से वाकिफ नहीं होते हैं।

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सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन

अगर हम सरकारी बीमा कंपनियों की बात करें, तो उन्होंने अपने प्रदर्शन में निजी कंपनियों से बेहतर साबित किया है। सरकारी कंपनियां 100 रुपये के प्रीमियम पर औसतन 90 रुपये से अधिक क्लेम देती हैं, जो कि निजी कंपनियों से कहीं बेहतर है।

नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया, ओरिएंटल और यूनाइटेड इंडिया जैसी सरकारी बीमा कंपनियों का क्लेम औसत 100 रुपये के प्रीमियम पर 103 रुपये रहा है। उदाहरण के लिए, नेशनल इंश्योरेंस ने 100 रुपये का प्रीमियम लेकर 90.83 रुपये का क्लेम दिया, वहीं न्यू इंडिया ने 105.87 रुपये, ओरिएंटल ने 101.96 रुपये और यूनाइटेड इंडिया ने 109 रुपये का क्लेम दिया। इन आंकड़ों से यह साफ है कि सरकारी बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों के लिए अधिक उपयुक्त साबित हो रही हैं।

बीमा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता

इरडा की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय बीमा उद्योग में पारदर्शिता की कमी है। बीमा कंपनियों द्वारा वसूले गए प्रीमियम और क्लेम के बीच बड़ा अंतर ग्राहकों के लिए चिंता का कारण बनता है। ऐसे में, बीमा नियामकों को और भी कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है ताकि पॉलिसीधारकों को उनके प्रीमियम का उचित लाभ मिल सके।

इसके अलावा, बीमा कंपनियों को अपने क्लेम निपटान प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता मित्र बनाना चाहिए। ग्राहकों को उनके अधिकारों के बारे में सही जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि वे आसानी से अपनी पॉलिसी के बारे में समझ सकें और उनका लाभ उठा सकें।

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