राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण ने एक बार फिर गंभीर रूप ले लिया है। दिल्ली के 37 में से 29 पॉल्यूशन प्वाइंट्स पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुँच गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। बीते 24 घंटों से हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
GRAP 4 लागू: प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम
दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते हालात को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण लागू कर दिया गया है। GRAP 4 को तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुँचती है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और सख्त कदम उठाना है।
GRAP 4 के तहत लगाई गई पाबंदियां
GRAP 4 के लागू होने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में कई पाबंदियां लगा दी गई हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध: बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यों को रोक दिया गया है।
- औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया गया है।
- डीजल वाहनों पर प्रतिबंध: गैर-जरूरी डीजल वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। केवल आवश्यक सेवाओं वाले वाहन ही चल सकेंगे।
- स्कूल और कार्यालयों को ऑनलाइन मोड अपनाने की सलाह: बच्चों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य को देखते हुए ऑनलाइन कामकाज को प्राथमिकता दी गई है।
क्यों बिगड़ी दिल्ली की हवा
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के गंभीर स्तर तक पहुँचने के पीछे कई कारण हैं:
- पराली जलाना: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण दिल्ली की हवा खराब हो रही है।
- वाहनों का प्रदूषण: NCR में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे हवा में PM2.5 और PM10 कणों का स्तर बढ़ गया है।
- निर्माण कार्यों से धूल: निर्माण और तोड़फोड़ से उड़ने वाली धूल भी प्रदूषण में बड़ा योगदान दे रही है।
- मौसम की स्थिति: सर्दियों में हवा की रफ्तार धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक कण वायुमंडल में जमा हो जाते हैं।
AQI के स्तर का विश्लेषण
दिल्ली के प्रमुख इलाकों में AQI का स्तर गंभीर स्थिति में पहुँच चुका है।
- आरके पुरम: 420
- आनंद विहार: 430
- आईटीओ: 415
- बवाना: 435
- द्वारका: 410
ये आँकड़े दर्शाते हैं कि दिल्ली के लगभग सभी प्रमुख स्थानों की हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है।
लोगों के स्वास्थ्य पर असर
प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर का सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों पर पड़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि:
- सांस लेने में तकलीफ: प्रदूषित हवा से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
- आंखों में जलन और त्वचा संबंधी समस्याएँ: वायु में मौजूद कण आँखों में जलन और त्वचा पर चकत्ते पैदा कर रहे हैं।
- हृदय रोग का खतरा: प्रदूषण के कारण हृदय रोगियों के लिए खतरा और बढ़ गया है।
विशेषज्ञों की राय
वायु प्रदूषण के इस स्तर को देखते हुए पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि:
- तत्काल दीर्घकालिक योजना की जरूरत: प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।
- पराली जलाने पर नियंत्रण: किसानों को पराली जलाने के विकल्प देने होंगे।
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करने की अपील की जानी चाहिए।
- वृक्षारोपण अभियान: हवा को शुद्ध करने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की आवश्यकता है।
प्रशासन की कार्रवाई
दिल्ली सरकार और केंद्रीय एजेंसियाँ स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निरंतर काम कर रही हैं। कुछ कदम जो प्रशासन ने उठाए हैं:
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी: सभी प्रमुख इलाकों में AQI की नियमित निगरानी की जा रही है।
- जल छिड़काव: सड़कों और निर्माण स्थलों पर धूल को कम करने के लिए जल छिड़काव किया जा रहा है।
- मास्क पहनने की सलाह: लोगों को बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
आम लोगों की प्रतिक्रिया
प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर को लेकर आम लोग काफी परेशान हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हवा इतनी खराब हो गई है कि घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन को जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए।”
समाधान की दिशा में कदम
प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ उपाय जो सरकार और आम जनता मिलकर कर सकते हैं:
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बढ़ाएं।
- कारपूलिंग अपनाएँ और निजी वाहनों का उपयोग कम करें।
- घर-घर में कचरा जलाने पर रोक लगाएँ।
- प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की सख्ती से जाँच करें।
- पेड़-पौधे लगाएँ और पर्यावरण संरक्षण में भागीदारी करें।