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Ganga Aarti | गंगा आरती

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गंगा आरती, जो गंगा नदी के किनारे विशेष रूप से हरिद्वार, वाराणसी और ऋषिकेश जैसे पवित्र स्थानों पर होती है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अहम हिस्सा है। यह आरती गंगा माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें दीप जलाकर, ध्वनि, मंत्रों और संगीत के माध्यम से गंगा की महिमा का गुणगान किया जाता है। इस आरती का दृश्य न केवल आत्मा को शांति प्रदान करता है, बल्कि हृदय में एक अद्भुत प्रसन्नता और आंतरिक संतोष का संचार करता है। गंगा की पवित्र धाराएं और आरती का अनुपम संगम एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रस्तुत करते हैं, जो हर किसी को अपनी ओर खींचता है।

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गंगा आरती

हर हर गंगे, जय मां गंगे,
हर हर गंगे, जय मां गंगे ॥

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता…
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ,
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता…
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ,
!! ओम जय गंगे माता !!

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता…
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ,
!! ओम जय गंगे माता !!

एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता…
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ,
!! ओम जय गंगे माता !!

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता…
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता,
!! ओम जय गंगे माता !!

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता…
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ,

!! ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !!

गंगा आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे भीतर के आंतरिक शांति और सकारात्मकता को जागृत करने का एक जरिया भी है। गंगा नदी, जो जीवन और मोक्ष की प्रतीक मानी जाती है, की आरती में हर व्यक्ति को एक अद्वितीय अनुभव मिलता है। इस आरती में सम्मिलित होकर हम अपने जीवन में न केवल आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं, बल्कि एक दूसरे के साथ भी जोड़ते हैं। गंगा की पवित्र धारा में डूबकर हम अपने दुखों और तनावों को दूर करने का प्रयास करते हैं, और जीवन के असली उद्देश्य को समझने की ओर अग्रसर होते हैं।

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