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शारदीय नवरात्रि के अवसर पर धुनुचि नृत्य का आयोजन

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6 अक्टूबर 2024, शारदीय नवरात्रि की चतुर्थ तिथि के अवसर पर शक्तिपीठ माता विशालाक्षी एवं चतुर्थ नवरात्रि की अधिष्ठात्री देवी माता कूष्मांडा के सिद्धपीठ हेतु भगवान विश्वेश्वर को अवलोकित कर सोलह श्रृंगार एवं वस्त्र भेंट स्वरूप भेजे गए। आज प्रातःकाल आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवरात्रि के महत्व को प्रकट करना और देवी शक्तियों की आराधना करना था।

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सायंकाल की वेला में श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित मंदिर चौक सांस्कृतिक मंच पर बंगाल की पुरातन परंपरा “धुनुचि नृत्य” का भावपूर्ण मंचन किया गया। इस विशेष नृत्य में कलाकारों ने जैसे अंकिता भट्टाचार्य, राशि शर्मा, सुमन कुमारी, प्रिया कश्यप, निर्जला रस्तोगी, अंकिता पाल, रिया नंदी, रितिका पाल, दिवाकर, रतन दत्ता और रितून देय ने भाग लिया। धुनुचि मिट्टी से बना एक विशेष पात्र है, जिसमें सूखे नारियल की जटाएं, जलता हुआ कोयला, कपूर और अन्य हवन सामग्रियां रखकर जलाया जाता है। इस पात्र के साथ नृत्य किया जाता है, जो शक्ति नृत्य का प्रतीक है और माँ भवानी की शक्ति एवं ऊर्जा को बढ़ाने हेतु किया जाता है।

मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने से पहले अपनी शक्तियों को और बढ़ाने के लिए धुनुचि नृत्य किया था। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, मा. न्यास सदस्य श्री ब्रज भूषण ओझा, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज और प्रो. राधेश्याम शर्मा, कुलपति, हिसार यूनिवर्सिटी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रगाढ़ किया, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का एक प्रयास किया।

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Aditya