यम गायत्री मंत्र: विधि, लाभ और आस्था से भरा एक रहस्यपूर्ण साधनात्मक मार्ग

यम गायत्री मंत्र
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हमारे वेद-पुराणों में यमराज को धर्म के देवता, मृत्युलोक के स्वामी और कर्मों के न्यायाधीश के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। जब मृत्यु का भय सताने लगे या पितृदोष से मुक्ति चाहिए हो, तब “यम गायत्री मंत्र” का जाप एक अत्यंत शक्तिशाली और आध्यात्मिक साधन माना जाता है। यह मंत्र न केवल मृत्यु के भय को दूर करता है, बल्कि जीवन में नियम, अनुशासन और न्याय की स्थापना भी करता है। आइए जानते हैं इस मंत्र की विधि और इसके चमत्कारी लाभ।

यम गायत्री मंत्र

ॐ धर्मराजाय विद्महे
नीलकण्ठाय धीमहि
तन्नो यमः प्रचोदयात्॥

“यम गायत्री मंत्र” एक दुर्लभ और रहस्यपूर्ण साधना है, जिसे यदि विधिपूर्वक और श्रद्धा से किया जाए तो जीवन में अद्भुत बदलाव आता है। यह न केवल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है, बल्कि पितृशांति, आत्मिक उन्नति और धर्ममय जीवन का पथ प्रशस्त करता है। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा, तो आप काल भैरव गायत्री मंत्र, मृत्युंजय मंत्र का चमत्कारी प्रभाव, पितृ दोष निवारण मंत्र, और यम द्वितीया की विशेष पूजा विधि भी अवश्य पढ़ें, जो इस विषय को और भी गहराई से समझने में सहायता करेंगे।

जाप की विधि

  1. शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करें: इस मंत्र का जाप अमावस्या, श्राद्ध पक्ष, या शनिवार को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है। खासकर सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद इसका प्रभाव अधिक होता है।
  2. पवित्र स्थान का चयन करें: मंत्र जाप के लिए शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। एक आसन बिछाकर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. दीपक और जल की व्यवस्था करें: यमराज को जल और दीपक का अर्पण करें। तिल का तेल युक्त दीपक विशेष फलदायी होता है।
  4. जाप संख्या: प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप कम से कम 11 दिनों तक करें। माला का प्रयोग करें ताकि एकाग्रता बनी रहे।
  5. श्रद्धा और भक्ति आवश्यक: यम गायत्री मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है; इसका जाप श्रद्धा, निष्ठा और नियमपूर्वक करना अनिवार्य है।
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मंत्र के लाभ

  • मृत्यु भय से मुक्ति: इस मंत्र के नियमित जाप से मनुष्य के भीतर से मृत्यु का भय समाप्त होता है और मानसिक दृढ़ता आती है।
  • पितृदोष से मुक्ति: पितरों की आत्मा की शांति और कृपा पाने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है। श्राद्ध या पितृ पक्ष में इसका जाप विशेष लाभ देता है।
  • जीवन में अनुशासन और संयम: यमराज धर्म और अनुशासन के प्रतीक हैं। इस मंत्र का जाप व्यक्ति को संयमित, ईमानदार और न्यायप्रिय बनाता है।
  • अकाल मृत्यु की टालना: जो लोग दुर्घटनाओं या रोगों से घिरे रहते हैं, उनके लिए यह मंत्र सुरक्षा कवच का कार्य करता है।
  • आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर अग्रसरता: यह मंत्र आत्मा को शुद्ध कर मोक्ष की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है।

Shiv murti