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पेट की समस्याओं के लिए मनोचिकित्सक से परामर्श क्यों ज़रूरी?

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क्या तमाम उपचारों के बावजूद आपके पेट की समस्याएं ठीक नहीं हो रही हैं? यदि हां, तो यह समय किसी मनोचिकित्सक से मिलने का हो सकता है। अब यह सवाल उठ सकता है कि पेट की समस्याओं और मनोचिकित्सक का क्या संबंध है। आइए, इस कनेक्शन को समझते हैं।

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पाचन समस्याओं के सामान्य कारण


पाचन समस्याएं किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं। आमतौर पर, अपच, गैस, या पेट में अन्य दिक्कतें खराब खानपान से जुड़ी होती हैं।

तला-भुना और मसालेदार खाना: ये भोजन पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
भारी भोजन का सेवन: इसे पचाना मुश्किल होता है, जिससे पेट में गड़बड़ हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पाचन की समस्याएं बार-बार हो रही हैं, तो इसका समय रहते समाधान ढूंढना आवश्यक है।

पाचन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध


यदि पेट की समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं और सामान्य उपचार से ठीक नहीं होतीं, तो इसका कारण मानसिक स्वास्थ्य हो सकता है।

गट-ब्रेन हेल्थ कनेक्शन


बहुत से लोग यह नहीं जानते कि स्ट्रेस, एंग्ज़ाइटी, और डिप्रेशन न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं इन मानसिक विकारों का एक संकेत हो सकती हैं।

मस्तिष्क और पाचन तंत्र का आपसी तालमेल


मस्तिष्क और पाचन तंत्र के बीच भौतिक और रासायनिक संबंध होते हैं। जब मस्तिष्क तनाव महसूस करता है, तो शरीर कुछ हार्मोन्स रिलीज करता है, जो पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।

अध्ययन: मानसिक और पाचन स्वास्थ्य के बीच कनेक्शन


2018 के एक अध्ययन में 19,000 से अधिक लोगों पर शोध किया गया।

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जीईआरडी और डिप्रेशन: जिन लोगों को गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) था, उनमें डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी की दर अधिक पाई गई।
आईबीएस और मानसिक स्वास्थ्य: इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) के मरीजों में 50-90% मामलों में मानसिक विकार जैसे डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी के लक्षण मिले।

तनाव और पाचन तंत्र पर असर


जब आप तनाव में होते हैं, तो आपका शरीर तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल रिलीज करता है।

कोर्टिसोल के प्रभाव:
तेजी से सांस लेना।
हृदय गति और रक्तचाप बढ़ना।
पेट में एसिड का स्तर बढ़ना।
इससे हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पाचन स्वास्थ्य और सोचने की क्षमता का जुड़ाव

जॉन्स हॉपकिन्स के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के अनुसार:


पाचन तंत्र की समस्याएं आपकी संज्ञानात्मक क्षमता (सोचने और याददाश्त) को प्रभावित कर सकती हैं।
मानसिक विकार पाचन तंत्र के रोगों का जोखिम बढ़ाते हैं।

समाधान: क्या करें?


यदि आप लंबे समय से पाचन समस्याओं से परेशान हैं, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:

डॉक्टर से परामर्श लें: यह सुनिश्चित करें कि समस्या केवल खानपान से जुड़ी है या मानसिक स्वास्थ्य भी इसका हिस्सा है।
तनाव को कम करें: योग, मेडिटेशन, या किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें।
आहार पर ध्यान दें: तले-भुने और मसालेदार खाने से बचें। पाचन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। यदि सामान्य उपचार से पेट की समस्याएं ठीक नहीं हो रही हैं, तो इसे हल्के में न लें। मनोचिकित्सक से परामर्श लेना और सही उपचार शुरू करना आपकी समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है। याद रखें, स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मन भी आवश्यक है।

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