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परंपरा और प्रशासन: काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक विवाद

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न्यूज़ डेस्क-सोनाली पटवा. सावन के पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक करने की पुरानी परंपरा को लेकर वाराणसी में यादव समाज और प्रशासन के बीच विवाद गहरा गया है। यादव समाज का आरोप है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश के बावजूद वाराणसी जिला प्रशासन और काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने उनकी परंपराओं में हस्तक्षेप किया है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी परंपरागत कार्यक्रम को किसी प्रकार से छेड़ा न जाए और उसका स्वरूप न बदला जाए। बावजूद इसके, यादव समाज के पारंपरिक काशी विश्वनाथ गर्भगृह जलाभिषेक कार्यक्रम को बाधित कर मंदिर प्रशासन ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत केवल 21 यादव बंधुओं को गर्भगृह में जलाभिषेक करने की अनुमति दी गई है। इस निर्णय से यादव समाज की आस्था को गहरा आघात पहुंचा है।

यादव समाज का कहना है कि उनके पारंपरिक कार्यक्रम को सीमित कर देने से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। गोवर्धन पूजा समिति के सदस्यों ने पराड़कर भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस निर्णय का विरोध किया और इसे तुगलकी फरमान करार दिया। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा लिया गया यह निर्णय न केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि उनके सामाजिक सम्मान को भी ठेस पहुंचाता है।

इस पूरे प्रकरण ने प्रशासन और यादव समाज के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। यादव समाज का कहना है कि उनके धार्मिक और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए और प्रशासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें बिना किसी बाधा के पूरा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

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इस विवाद ने वाराणसी में प्रशासन और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता को भी उजागर किया है। सभी पक्षों को मिलकर एक समाधान खोजने की जरूरत है जो पारंपरिक धार्मिक कार्यक्रमों का सम्मान करे और सभी समुदायों के बीच समरसता बनाए रखे। यादव समाज ने अपने आस्था और परंपराओं की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है और उम्मीद जताई है कि प्रशासन उनके धार्मिक अधिकारों का सम्मान करेगा।

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