वाराणसी। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशाल भारत संस्थान के लमही स्थित मुख्यालय सुभाष भवन में एक भव्य ध्वजारोहण समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वाराणसी की न्यायाधीश नेहा सिंह और न्यायाधीश हितेश अग्रवाल ने ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्व के पहले सुभाष मंदिर में अतिथियों द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करने और आरती के साथ हुई। मुख्य अतिथि न्यायाधीश नेहा सिंह को बाल आजाद हिन्द बटालियन ने सलामी दी।
न्यायाधीश नेहा सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपने खून से देश की आजादी को सींचा है। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाना और सबको समान अधिकार दिलाना ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सपना था। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी का सही अर्थ तभी पूरा होगा जब समाज के हर वर्ग को न्याय और अधिकार प्राप्त हो सकेगा।
न्यायाधीश हितेश अग्रवाल ने देश सेवा और त्याग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी पूर्वजों के बलिदान का परिणाम है, और इसे बचाकर रखना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने नेताजी के बलिदान और उनके विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम में विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि देश की अखंडता और प्रगति के लिए सुभाष मार्ग पर चलना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि नेताजी जीवित होते तो आज भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक साथ होते और एक साथ प्रगति कर रहे होते।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. नजमा परवीन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अर्चना भारतवंशी ने दिया। इस अवसर पर नौशाद अहमद दूबे, नाज़नीन अंसारी, ज्ञान प्रकाश, डॉ. निरंजन श्रीवास्तव, डॉ. कवीन्द्र नारायण, रमेश सिंह, डॉ. मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, दिलीप सिंह, शिशिर सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शाम को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय नागरिकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।