वाराणसी। काशी में देश की पहली हाइड्रोजन चालित नौका का संचालन शुरू होने जा रहा है। शुरुआत में कोचीन शिपयार्ड इस नौका का संचालन करेगा। इसके लिए बनारस में गंगा किनारे तीन हाइड्रोजन प्लांट लगाए जाएंगे, जो प्रतिदिन 1500 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेंगे। यदि परिणाम संतोषजनक रहे, तो और भी ऐसे जलयानों का निर्माण किया जाएगा।
28 जून तक वाराणसी में देश का पहला हाइड्रोजन फ्यूलसेल वेसेल (हाइड्रोजन चालित नौका) पहुंच जाएगा। इस नौका को कोचीन शिपयार्ड ने 18 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया है। सागरमाला डेवेलपमेंट कंपनी और भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने हाइड्रोजन की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित करने की योजना बनाई है। इसके तहत वाराणसी में गंगा किनारे तीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक प्लांट में प्रतिदिन 500 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन होगा। इसको लेकर पेट्रोलियम कंपनियों एचपीसीएल और आईओसीएल से वार्ता चल रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह नौका आठ घंटे तक गंगा में संचालित होती है, तो उसे 40 किलोग्राम हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी। प्रारंभिक छह महीने तक कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ही हाइड्रोजन जलयान का संचालन करेगा और हाइड्रोजन गैस की अस्थायी व्यवस्था भी वही करेंगे। शिपयार्ड हाइड्रोलाइजर उपकरण की मदद से स्वच्छ पानी से हाइड्रोजन तैयार करेगा, जिसे उत्पादन के तुरंत बाद सिलेंडरों में स्टोर कर जलयान तक पहुंचाया जाएगा। शिपयार्ड इस नौका की संपूर्ण रिपोर्ट तैयार करेगा।
हाइड्रोजन जलयान 24 मीटर लंबा है और वातानुकूलित क्षेत्र में 50 लोगों को ले जाने की क्षमता रखता है। इसके कमरों का निर्माण उच्च गुणवत्ता वाले फाइबरग्लास प्रबलित प्लास्टिक से किया गया है, जो मेट्रो ट्रेन के डिब्बों के समान है। नौका में पांच हाइड्रोजन सिलेंडर और तीन किलोवाट का सोलर पैनल भी है। यह नौका शून्य उत्सर्जन, शून्य शोर और ऊर्जा कुशल है, जिससे यह अधिक पर्यावरण अनुकूल बनती है। इसमें कोई गतिशील भाग नहीं होने के कारण अन्य नौकाओं की तुलना में इसका रखरखाव भी कम होता है। इसकी गति 6.5 नॉट्स है।