बुलंदशहर जिले में घरेलू हिंसा का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने अपने पति और बेटे के साथ बेरहमी से मारपीट की। इस घटना ने स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है। पीड़ित पति ने पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को शिकायती पत्र देकर अपनी पत्नी के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई है।
मायके जाने की जिद बनी विवाद की जड़
घटना का कारण मायके जाने को लेकर उपजा विवाद बताया जा रहा है। पति के अनुसार, महिला मायके जाने की जिद पर अड़ी हुई थी और जब उसने विरोध किया तो उसने आपा खो दिया। महिला ने न केवल पति को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनके छोटे बेटे को भी अपनी क्रूरता का शिकार बना डाला। मारपीट के दौरान महिला ने बेटे का हाथ तोड़ दिया।
पति का दर्द: कैसे बचाऊं अपने बच्चों को
पीड़ित पति ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब उसकी पत्नी ने ऐसा किया हो। उसने कई बार पारिवारिक विवादों में हिंसक व्यवहार किया है। पति ने कहा, “मैं अपने बच्चों की परवरिश और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं। मेरी पत्नी का यह व्यवहार न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे बच्चों के लिए भी खतरनाक है।”
स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
घटना के बाद पति ने एसएसपी कार्यालय जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि स्थानीय पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। अब पीड़ित ने जिला प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच और पत्नी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बेटे का इलाज बना चुनौती
महिला द्वारा की गई मारपीट में बेटे का हाथ बुरी तरह जख्मी हो गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्चे का हाथ टूट चुका है और उसे लंबे समय तक चिकित्सा देखभाल की जरूरत होगी। पिता का कहना है कि वह आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है और इस स्थिति में बच्चे का इलाज करवाना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पड़ोसियों की प्रतिक्रिया: ऐसा पहले भी हो चुका है
घटना के बाद पड़ोसियों ने बताया कि इस परिवार में झगड़े पहले भी हो चुके हैं। एक पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने पहले भी इस घर से चीख-पुकार की आवाजें सुनी हैं। महिला कई बार गुस्से में घर के सामान को भी तोड़ देती है।”
घरेलू हिंसा का बढ़ता संकट
यह मामला केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों की ओर इशारा करता है। ऐसे कई परिवार हैं जहां महिलाएं या पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं, लेकिन वे समाज के डर या किसी अन्य कारण से सामने नहीं आते।
क्या कहता है कानून
भारतीय कानून के तहत घरेलू हिंसा एक गंभीर अपराध है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करना दंडनीय है। इस कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना और उन्हें सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। इस मामले में भी पीड़ित पति ने कानून का सहारा लिया है और न्याय की मांग की है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार
पति ने यह भी बताया कि उनका परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। महिला द्वारा किए गए हिंसक व्यवहार ने न केवल परिवार के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला है, बल्कि उनके आर्थिक हालात को भी और खराब कर दिया है।
समाज की भूमिका: मदद या मूकदर्शक
घरेलू हिंसा के मामलों में समाज की भूमिका अहम होती है। पड़ोसियों और रिश्तेदारों का सहयोग पीड़ितों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि लोग ऐसे मामलों में मूकदर्शक बने रहते हैं। इस घटना में भी पड़ोसियों ने झगड़े के बारे में तो बताया, लेकिन किसी ने पुलिस या अन्य अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी।
मायके का पक्ष
मायके पक्ष की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन पति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी को मायके वालों का समर्थन प्राप्त है, जो उसे इस प्रकार के व्यवहार के लिए उकसाते हैं। यदि यह सच है तो यह समस्या और भी जटिल हो सकती है।
पीड़ित का सवाल: बच्चों का भविष्य क्या होगा
पति ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “मेरे बच्चों का भविष्य खतरे में है। मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे इस माहौल में बड़े हों, जहां हिंसा और झगड़े रोजमर्रा की बात हों। मैं प्रशासन से अपील करता हूं कि वह इस मामले में त्वरित कार्रवाई करे।”
अधिकारियों की प्रतिक्रिया:
एसएसपी कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि यदि महिला दोषी पाई जाती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।