गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोध गया में हुई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया-केशव प्रसाद मौर्य
कार्तिक पूर्णिमा पर मूलगंध कुटी विहार के 93 वे वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का हुआ समापन
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए उपमुख्यमंत्री
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शुक्रवार को सारनाथ के महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित कार्तिक पूर्णिमा पर मूलगंध कुटी विहार के 93 वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर स्तुति किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। उनका स्वागत बौद्ध भिक्षु सुमितानंद थेरो ने किया। इसके पहले छात्र छात्राओं द्वारा भगवान बुद्ध के सम्मान में शोभायात्रा निकाली गई और स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। उपमुख्यमंत्री ने महाबोधि वृक्ष का दर्शन किया और कुटी विहार के बाहर दीपदान कार्यक्रम में भी भाग लिया।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े भू-भाग सम्राट होने का गौरव अशोक महान को प्राप्त है। वे भी तथागत बुद्ध की शरण में आए और उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपने पुत्र पुत्री तथा अन्य लोगों को दूसरे देशों में भेजा। उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध और अशोक के समय बोलचाल व प्रचार प्रसार की भाषा पाली थी। आगे कहा कि गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोध गया में हुई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया। तथागत बुद्ध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने किसी की आलोचना नहीं की। उन्होंने वहां उपस्थित सभी बौद्ध धर्मावलंबियों को तथागत बुद्ध के उपदेशों और शिक्षाओं का व्यापक प्रचार प्रसार करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र हैं हमारे प्रधानमंत्री ने दुनिया की सबसे बड़े संगठन संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में कहा था कि ‘भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है’। उन्होंने अपने भाषण में बौद्ध धर्म के स्थानों कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिस्सा और कौशांबी का भी जिक्र किया और वहां के विकास कार्यों के बारे में भी बताया। इस कार्यक्रम में रॉबर्ट्सगंज के विधायक अनिल मौर्य, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष महेंद्र सिंह और जनरल सेक्रेटरी पी. सीवाली थेरो,विशिष्ट अतिथि ग्येबुल जीग्मे नोमचे, रमेश चंद्र नेगी सहित अन्य बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे।