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अपनी दिनचर्या का रखें ध्यान, नहीं होंगे मधुमेह के शिकार

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व्यक्ति को करना चाहिए शारीरिक श्रम तथा व्यायाम
जीवनशैली में परिवर्तन, सही खानपान और दिनचर्या से इस बीमारी से पायेंगे निजात

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वाराणसी, 14 नवम्बर 2024
मधुमेह रोग की गंभीरता को देखते हुये प्रत्येक वर्ष 14 नवम्बर को “विश्व मधुमेह दिवस” मनाया जाता है। वर्ष 2024 में इसकी थीम “Breaking Barriers, Bridging Gaps” है| इस क्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, एसएसपीजी कबीर चौरा, साथ ही सभी सीएचसी, पीएचसी तथा सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में भी शिविर का आयोजन किया गया| मधुमेह एक ऐसी समस्या है जो तेजी से दुनिया में फैलती जा रही है। वहीं बात करें भारत की तो हमारा देश मधुमेह का सबसे बड़ा शिकार बनता जा रहा है। इस रोग के फैलने के कारणों की बात करें तो खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव मधुमेह के सबसे बड़े कारण है। मधुमेह को शुरुआत में ही कंट्रोल कर लेना बहुत जरूरी है। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी|

उन्होंने बताया कि जब शरीर में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है, तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, ऐसी स्थिति को हम मधुमेह कहते हैं| इंसुलिन का काम शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलना होता है और इसी हार्मोन के कारण शरीर में शुगर की मात्रा भी नियंत्रित होती है| जब किसी व्यक्ति के शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलने की दिक्कत होती है, तब ऐसी स्थिति में शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित नहीं होती और व्यक्ति मधुमेह के शिकार हो जाते हैं| इसलिए सजग और सतर्क रहें|

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सीएमओ ने बताया कि टाइप वन, टाइप टू प्रकार के मधुमेह होते हैं| टाइप वन मधुमेह प्रायः बचपन या युवावस्था में होता है| इसमें अग्नाशय ग्रंथि से बहुत कम मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न होती है, इसके रोगी को नियमित रूप से रक्त ग्लूकोज के नियंत्रण के अलावा जीवित रहने के लिए इंसुलिन लेनी पड़ती है| वहीं टाइप 2 मधुमेह 45 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को होता है| पीड़ित मरीजों में लगभग 90 फीसदी टाइप 2 मधुमेह के रोगी होते हैं| व्यक्ति को शारीरिक श्रम तथा व्यायाम करते रहना चाहिए| जीवनशैली में परिवर्तन, सही खानपान और सही दिनचर्या से इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है|

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं एनसीडी कार्यक्रम के नोडल डॉ वाईबी पाठक ने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एनसीडी क्लीनिक में 140 लोंगो के मधुमेह की जाँच तथा एल्डर्ली क्लीनिक एसएसपीजी कबीर चौरा में 40 लोंगो की जाँच की गई| साथ ही सभी सीएचसी, पीएचसी तथा सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में भी शिविर का आयोजन किया गया|

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