जनपद सहित पूरे प्रदेश में एक जुलाई से दो माह तक चलेगा ‘डायरिया रोको अभियान’
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त प्रबंधन, उपचार और जागरूकता पर होगा ज़ोर
आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएँगी ओ0आर0एस0 घोल बनाने की विधि व फायदे
बच्चों को डायरिया होने पर ओ0आर0एस0 और ज़िंक के उपयोग से होता है तीव्र सुधार
वाराणसी, 25 जून 2024 सोनाली पटवा
बारिश के मौसम में बच्चों को डायरिया यानि दस्त होने की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं। शरीर में पानी की कमी की कमी होने से बच्चे बीमार होने लगते हैं। इसी को देखते हुए बाल्यावस्था यानि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया के दौरान ओ0आर0एस0 और ज़िंक के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा इसके प्रबंधन, उपचार व परामर्श के लिए वाराणसी समेत प्रदेश के समस्त जिलों में एक जुलाई से ‘डायरिया रोको अभियान’ अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान पूरे जुलाई और अगस्त माह तक चलेगा।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी। उन्होंने बताया कि बारिश के दिनों में आस-पास पानी जमने से वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चों को डायरिया हो सकता है। यह दूषित भोजन और पानी के माध्यम से संचरित होता है। इस मौसम में रोगाणु अधिक आसानी से और तेजी से बढ़ते हैं। इसका एक कारण रोटा वायरस भी है। डायरिया के कारण बच्चों में डिहाइड्रेशन होने की समस्या बढ़ जाती है। यदि दस्त संक्रमण के कारण होता है तो बच्चे में मतली, उल्टी, वजन कम होना, बुखार और खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। कई बार ये समस्या जानकारी न होने के कारण जानलेवा भी हो सकती है, इसलिए इसके लक्षणों को नजरअंदान न करें। इन महीनों में अभिभावकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
सीएमओ ने बताया कि इस बार अभियान की थीम ‘डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओ0आर0एस0 से रखें अपना ध्यान’ निर्धारित की गई है। अभियान में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त प्रबंधन, उपचार और परामर्श पर ज़ोर दिया जाएगा। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर दस्त से ग्रसित बच्चों के परिजनों को ओ0आर0एस0 घोल बनाने की विधि सिखाएंगी। साथ ही इसके और ज़िंक के उपयोग के फायदे के साथ ही साथ साफ-सफाई स्वच्छता के बारे में भी जानकारी देंगी। डायरिया होने पर ओ0आर0एस0 और ज़िंक के उपयोग से बच्चों में तेजी से सुधार होता है। उन्होंने समस्त चिकित्सा अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि समुदाय स्तर तक ओ0आर0एस0 और ज़िंक की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहे। सीएमओ ने अपील की है कि यदि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त के लक्षण दिखें तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें।
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर होगा विशेष ध्यान – कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि अभियान के तहत प्रमुख रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आच्छादित किया जाएगा। ऐसे बच्चे जो दस्त से ग्रसित हैं, कुपोषित हैं, कम वजन के हैं, पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा अतिसंवेदनशील क्षेत्र जैसे शहरी मलिन बस्ती, दूर दराज के क्षेत्र, खानाबदोस, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे आदि पर रहने वाले परिवार पर ध्यान दिया जाएगा। सफाई की कमी वाली जगहों पर निवास करने वाली आबादी पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा जनपद के ऐसे क्षेत्र जहां डायरिया आउटब्रेक हुआ हो या ज्यादा केस मिले हों एवं बाढ़ से प्रभावित हुआ हो, पर विशेष रणनीति बनाकर कार्रवाई की जाएगी।
सभी के सहयोग से सफल होगा अभियान – नोडल अधिकारी के कहा कि अभियान के अन्तर्गत ओ0आर0एस0 पैकेट एवं जिंक टैबलेट का वितरण फील्ड स्तरीय कार्यकताओं ( एएनएम व आशा) के माइक्रोप्लान के अनुसार गृह भ्रमणों के दौरान जैसे कि गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) एवं होम बेस्ड यंग चाइल्ड केयर (एचबीवाईसी) एवं संचारी रोग अभियान व दस्तक अभियान के साथ ही किया जाना है। अभियान को सफल बनाने के लिए आईसीडीएस, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, शिक्षा एवं मिशन जल शक्ति व नमामि गंगे से भी सहयोग लिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।
ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति की बैठक में इन बिन्दुओं पर हो चर्चा –
• दस्त के दौरान बच्चों को तरल पदार्थ दिया जाना।
• दस्त होने पर बच्चों को उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जिंक की गोली अवश्य दिया जाना।
• पीने के लिए स्वच्छ पेयजल का उपयोग किया जाना।
• उम्र के अनुसार शिशु व बाल पोषण सम्बन्धी परामर्श दिया जाना।
• डायरिया को फैलने से रोकने के लिये शौचालय का उपयोग करना।
• खाना बनाने से पूर्व, खाना परोसने से पूर्व एवं खाना खिलाने से पूर्व एवं बच्चों का मल साफ करने के उपरान्त साबुन से हाथ धोना।