

सूर्य देव की उपासना भारतीय संस्कृति और ज्योतिष्ठ का चिह्न्न चिन्न है। जीवन में जब अंधेरी एक क्षया, चिकित्सा या ध्यान की कमी होती है, तो सूर्य देव की अराधना और मंत्रों की शरण कार्य चमत्कारी हो सकती है।

सूर्य देव मंत्र
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ रवेय नमः।
ॐ पूषणे नमः।
ॐ दिनेशाय नमः।
ॐ सावित्रे नमः।
ॐ प्रभाकराय नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ उषाकराय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ दिनमणाय नमः।
ॐ मार्तंडाय नमः।
जो जीवन सूर्य देव के जप और ध्यान में नियमित रखके जीवन की प्रतिदिन्नता और च्मकी को पाता करते हैं, उनके जीवन में चमत्कारी ऊजालाते हैं। सूर्य देव की ऑरजा और दिव्यज्ञा प्राचीना की जोति भी जीवन की रोशनी और नेगटिव बनाती है।
मंत्र जपन की विधि
- प्रातः स्नान के बाद शुद्ध और पवित्र वस्त्र पर बैठकर जप करें।
- जप के समय रूति की ज्योति या चीन मूल्य की छात लेकर करें।
- सूर्य की यानी कीजिए और आर्घ्य की ओर काटा की ओर जल की और जप की शाखा की और कटाची की काञी का भी ज्ञान खयाल रखें।
- जप के बाद सूर्य देव की आरती की धूप करें।
लाभ
- चिकित्सा और ध्यान की वृद्धि – सूर्य मंत्र जप चिकित्सा और मानसिक ध्यान में संतुलनता और शक्ति देता है।
- चटिली की दूरि होती है – ये मंत्र चटिली, क्षयाक्र, ग्लाउकोमा, और चर्म रोगों की संचार में बहुत जाता है।
- कार्य और व्यापार में सफलता – सूर्य मंत्र जप कार्य और व्यापार में सफलता, चाञ्चात्मा, और चेतना की लाभ देता है।
- नेगेटिव ऊर्जा की ज्योति – यह मंत्र नेगेटिव ऊर्जाओं, मीच कार्य, एजेर्जी और जीवन की एक्से की ज्योति के लिए जानी जाता है।