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स्कूल चलो अभियान और संचारी रोग नियंत्रण अभियान की सफलता सामूहिक जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री

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कांवड़ यात्रा हो या मुहर्रम, आस्था का सम्मान, नई परंपरा को अनुमति नहीं: मुख्यमंत्री

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दूसरे की धार्मिक भावना को आहत करने वालों के साथ कड़ाई से निपटें: मुख्यमंत्री

धार्मिक यात्राओं/जुलूसों में किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं: मुख्यमंत्री

कांवड़ यात्रा का पारंपरिक हिस्सा है नृत्य-संगीत, लेकिन तय सीमा से अधिक तेज न बजाएं: मुख्यमंत्री

अंतर्विभागीय समन्वय के साथ 01 से 31 जुलाई तक चलेगा प्रदेशव्यापी संचारी रोग अभियान

संचारी रोग नियंत्रण अभियान में इस बार स्टॉप डायरिया का संकल्प भी शामिल

ओवरसाइज डीजे हो या ताजिया को नहीं मिलेगी अनुमति

आगामी पर्व-त्योहारों के सौहार्दपूर्ण आयोजन के संबंध में मुख्यमंत्री ने दिए दिशा-निर्देश

कांवड़ यात्रा मार्ग पर कहीं भी खुले में मांस आदि का खरीद-बिक्री न हो: मुख्यमंत्री

अगले तीन माह तक न हो स्वास्थ्य विभाग और बाढ़ राहत एवं बचाव से जुड़े अधिकारियों/ कर्मचारियों का स्थानांतरण:मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के भाव से जुड़ेगा उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आगामी पर्व त्योहारों के दृष्टिगत सुदृढ़ कानून व्यवस्था तथा महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के सफल आयोजन के संबंध में रविवार को शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पुलिस कमिश्नरों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तान गणों द्वारा की जा रही तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। *बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए प्रमुख दिशा-निर्देश:- *

● आगामी 22 जुलाई से पवित्र श्रावण मास का प्रारंभ हो रहा है। इस अवधि में श्रावणी शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। श्रावण मास में परंपरागत कांवड़ यात्रा निकलेगी। 07-09 जुलाई तक जगन्नाथ रथ यात्रा, 07-08 जुलाई से 17-18 जुलाई तक मोहर्रम, 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पावन अवसर है। बरसात का मौसम भी प्रारंभ हो रहा है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान और स्कूल चलो अभियान का आयोजन भी होना है। स्पष्ट है कल से प्रारंभ हो रहा माह कानून व्यवस्था, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अनेक दृष्टि से महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील है। हर किसी को सतर्क-सावधान रहने की आवश्यकता है।

● पारंपरिक कांवड़ यात्रा की दृष्टि से उत्तराखण्ड की सीमा से लगे जनपद तथा गाजियाबाद, मेरठ, अयोध्या, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी, बाराबंकी, बस्ती आदि जिले अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। प्रदेश के भीतर जिलों के बीच तथा सीमावर्ती जनपदों की दूसरे राज्यों के साथ स्थानीय प्रशासन सीमावर्ती राज्यों से सतत संवाद-संपर्क-समन्वय बनाये रखें।

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● कावंड़ यात्रा आस्था के उत्साह का आयोजन है। परंपरागत रूप से नृत्य, गीत, संगीत इसका हिस्सा रहे हैं। यह सुनिश्चित करें कि डीजे, गीत-संगीत आदि की आवाज निर्धारित मानकों के अनुरूप ही हो। डीजे की ऊंचाई एक तय सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए।

● श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ यात्रा मार्ग पर कहीं भी खुले में मांस आदि का खरीद-बिक्री न हो। यात्रा मार्ग पर स्वच्छ्ता-सैनिटाइजेशन बनी रहे। स्ट्रीट लाइट की अच्छी व्यवस्था हो। कांवड़ शिविर लगाने वाली समितियों के सहयोग लें। यात्रा मार्गों को चिन्हित करते हुए भीड़ प्रबंधन, रूट डायवर्जन, पुलिस बल की तैनाती, सीसीटीवी कैमरों आदि की व्यवस्था समय से कर ली जाए।

● कांवड़ यात्रा के मार्ग पर जर्जर बिजली के खंभे, झूलते-लटकते बिजली के तार आदि प्रबंधन समय से कर लिया जाए। ताकि श्रद्धालुओं को समस्या न हो, किसी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति न आए।

● श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा के अतिरिक्त हर गांव, कस्बे, नगर में सोमवार को शिवालयों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। ऐसे में शिवालयों के आस-पास परिवेश स्वच्छ होना चाहिए। नालियां चोक न हों, उनकी साफ-सफाई समय से करा ली जाए। पंचायतीराज और नगर विकास विभाग द्वारा इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए। प्रतिबंधित पॉलीथिन का प्रयोग कतई न हो, इसे सुनिश्चित किया जाए।

● मोहर्रम जुलूस के दौरान निकलने वाली ताजिया से जुड़ी समितियों और पीस कमेटी के साथ स्थानीय प्रशासन द्वारा संवाद-समन्वय बनाया जाए। विगत वर्ष कुछ स्थानों पर दुर्घटनाएं घटित हुई थीं। उनसे सीख लेते हुये इस वर्ष सभी आवश्यक प्रबंध किए जाने चाहिए। ताजिया की ऊंचाई परंपरा के अनुरूप ही हो। दुर्घटना का कारक बनने वाले अनावश्यक रूप से ओवरसाइज ताजिया जुलूस में न शामिल हों।

● पर्व-त्योहार में प्रशासन द्वारा आम जन को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। धार्मिक परंपरा/आस्था को सम्मान दें, लेकिन परंपरा के विरुद्ध कोई कार्य न हो।

● धार्मिक यात्राओं/जुलूसों में किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। ऐसी कोई घटना न हो, जिससे दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हों। ताजिया वहीं रखे जाएं जहां किसी प्रकार का विवाद न हो। यदि नया विवाद सामने आता है तो पहले उसका निस्तारण करें फिर निर्णय लें।

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● हर एक पर्व शांति और सौहार्द के बीच संपन्न हों, इसके लिए स्थानीय जरूरतों को देखते हुए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। कांवड़ शिविर लगाए जाने के स्थान पहले से चिन्हित हों, ताकि आवागमन बाधित न हो।

● शरारती तत्व दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को अनावश्यक उत्तेजित करने की कुत्सित कोशिश कर सकते हैं, ऐसे मामलों पर नजर रखें। सुरक्षा में कोई सेंध न लगा पाये, इसके लिए हमें हर समय अलर्ट रहना होगा। कांवड़ शिविर लगाने वालों का सत्यापन करें।अराजक तत्वों के साथ पूरी कठोरता से निपटा जाए। ड्रोन से भी निगरानी करें।

● बरसात का मौसम प्रारंभ हो चुका है ऐसे में स्वास्थ्य की आपातकालीन सेवाएं अलर्ट मोड में रहें। कांवड़ यात्रियों को अपातकाल में तत्काल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होनी चाहिए।।अयोध्या के श्रावण मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के सुविधा के दृष्टिगत सभी आवश्यक प्रबंध समय से कर लिए जाएं।

● प्रतिवर्ष अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर में संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विशेष अभियान संचालित होता है। इस वर्ष 01 जुलाई से इसका नवीन चरण प्रारंभ हो रहा है। अभियान को प्रभावी बनाना सामूहिक जिम्मेदारी है। इस अभियान की सफलता के लिए सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता भी महत्वपूर्ण है। पूर्व के अनुभवों को देखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए।

● संचारी रोग नियंत्रण अभियान की सफलता के लिए अंतर्विभागीय समन्वय महत्वपूर्ण आधार है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन, ग्राम्य विकास, नगर विकास, महिला बाल विकास, कृषि, बेसिक माध्यमिक शिक्षा द्वारा अंतर्विभागीय समन्वय के साथ स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा का ठोस प्रयास किया जाए।

● इस वर्ष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत हमें ‘स्टॉप डायरिया’ के संकल्प को लेकर भी कार्य करना है। हमारा लक्ष्य है पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में दस्त के कारण मृत्यु की आशंका को समाप्त करना। फ्रंटलाइन वर्कर्स अपने साथ ओआरएस तथा क्लोरीन की गोलियां लेकर जाएं। सभी को मिलकर इस अभियान को सफल बनाना होगा।

● बरसात का मौसम प्रारंभ हो चुका है। यह समय बीमारियों की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पूरे तंत्र को 24×7 अलर्ट मोड में रहना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि आगामी तीन माह की अवधि में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत किसी सीएमओ व अन्य चिकित्सक का स्थानांतरण न हो।

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● सतत, समन्वित प्रयासों से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बच्चों के नामांकन में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। आगामी 01 जुलाई से प्रदेशव्यापी ‘स्कूल चलो अभियान’ का दूसरा चरण प्रारंभ हो रहा है। यह अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें समझना होगा कि आज पहली बार विद्यालय आने वाला बच्चा ही कल देश का निर्माता बनेगा। स्कूलों को सजाया जाए। बच्चे जब विद्यालय आएं तो उनका तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर स्वागत करना चाहिए। विद्यालय के आस-पास परिवेश स्वच्छ हो। स्कूल चलो अभियान में सांसद, विधायक, जिला/क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान सहित हर जनप्रतिनिधि की सहभगिता होनी चाहिए। मलिन बस्तियों में बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए। कक्षा 1 व 2 में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को लागू किया गया है, इस संबंध में आवश्यक पाठ्य सामग्री यथाशीघ्र उपलब्ध करा दी जाये।

● विगत दिवस एक साथ परिषदीय विद्यालय के 88 लाख से अधिक बच्चों को एक साथ पाठ्य सामग्री, यूनिफॉर्म, जूता, स्वेटर आदि उपलब्ध कराने के लिए प्रति छात्र 1200 रुपये डीबीटी से उपलब्ध कराये गए हैं। यह सुनिश्चित करायें कि स्कूल यूनिफॉर्म में विद्यार्थी ‘पूरी बांह की शर्ट’ ही पहन कर आये। बीमारियों से बचाव में यह उपयोगी होगा।

● जुलाई का प्रथम सप्ताह पौधरोपण महाभियान को सफल बनाने के लिए जनजागरूकता बढ़ाने के लिए होगा। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हर देशवासी को ‘एक पेड़ माँ के नाम’ लगाने की प्रेरणा दी है। उत्तर प्रदेश का हर नागरिक प्रधानमंत्री जी के भाव से जुड़कर इस वर्ष के ‘वन महोत्सव’ को अभूतपूर्व सफलता दिलाने में अपना योगदान करेगा। न केवल पेड़ लगाना है, बल्कि उसकी सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है। प्रदेश के वार्षिक वन महोत्सव की तिथि शीघ्र ही घोषित की जाएगी। पौधरोपण के लिए सभी विभागों को लक्ष्य दिया जा चुका है।

● बाढ़ की संभावना के दृष्टिगत राहत एवं बचाव से जुड़ी सभी तैयारियां कर ली जायें। बाढ़ चौकियों का निर्धारण, नौका की उपलब्धता, राहत सामग्री आदि का प्रबंधन कर लिया जाए। इन कार्यो से जुड़े अधिकारियों/कर्मचारियों का स्थानांतरण आगामी तीन माह तक नहीं किया जाए।

● वर्षा के बाद नगरीय क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बन रही है। इसका स्थायी निराकरण कराया जाना आवश्यक है। प्रतिबंधित पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए।

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Aditya