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शेयर बाजार 2025: तेज़ी जारी रहने की उम्मीद, लार्जकैप में संभावित फायदे

शेयर बाजार 2025: तेज़ी जारी रहने की उम्मीद, लार्जकैप में संभावित फायदे
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नई दिल्ली: दुनियाभर में 2024 में परिस्थितियाँ कठिन रही हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में भारतीय शेयर बाजार में तेजी बनी रह सकती है और निवेशकों को अच्छा मुनाफा हो सकता है। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी रहेगी, लेकिन लार्जकैप (बड़ी कंपनियों के शेयर) में अच्छे रिटर्न की उम्मीद है। विशेष रूप से आईटी, हेल्थकेयर, बैंकिंग, फाइनेंस, सेवा और बीमा क्षेत्रों में अच्छी कमाई हो सकती है।

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2024 के आर्थिक माहौल का असर

2024 के प्रारंभ में वैश्विक आर्थिक माहौल काफी अलग था। देश के बीच तनाव, महंगाई, और ब्याज दरों में वृद्धि के कारण आर्थिक स्थिति अस्थिर हो गई थी। शुरुआत में स्थिति यह थी कि देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा था और महंगाई और उच्च ब्याज दरें बड़ी समस्याएँ बन गई थीं। इसके बाद दूसरी और तीसरी तिमाही में वैश्विक परिस्थितियाँ और खराब हो गईं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट का दौर शुरू हो गया। कई देशों में युद्ध और महंगाई की समस्या ने आर्थिक दबाव बढ़ा दिया था। इसके परिणामस्वरूप, विदेशी निवेशक भी अपने निवेश को स्थानांतरित करने लगे और केंद्रीय बैंकों ने अपनी नीतियों में बदलाव किए।

भारत में 2024 में तेजी, फिर गिरावट

सितंबर तक भारतीय शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 85,800 और निफ्टी 26,000 के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया था, जिससे बाजार की पूंजी 470 लाख करोड़ को पार कर गई थी। भारतीय निवेशकों के लिए यह एक अच्छा वक्त था, और बाजार ने 18 प्रतिशत तक रिटर्न दिया था।

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लेकिन जैसे-जैसे वैश्विक माहौल बदला, भारतीय बाजार पर भी असर पड़ा। नवंबर और दिसंबर में वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया। इस गिरावट के कारण, जो 18 प्रतिशत रिटर्न निवेशकों को सितंबर तक मिला था, वह अब 8 प्रतिशत तक घटकर रह गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन परिस्थितियों में भी यह मुनाफा बुरा नहीं है।

लार्जकैप में उम्मीदें और मिडकैप-स्मॉलकैप का मूल्यांकन

विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में लार्जकैप (बड़ी कंपनियों के शेयर) में अच्छा निवेश मौका हो सकता है। जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयर उच्च मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं, लार्जकैप कंपनियों का मूल्यांकन अपेक्षाकृत कम हुआ है। ऐसे में निवेशकों को मिडकैप और स्मॉलकैप के मुकाबले लार्जकैप में ज्यादा निवेश करने की सलाह दी जा रही है।

आईटी, हेल्थकेयर, बैंकिंग, फाइनेंस, सेवा, बीमा, औद्योगिक और रियल एस्टेट क्षेत्रों में अच्छी रिटर्न की संभावना जताई जा रही है। भारत में घरेलू और वैश्विक आर्थिक घटनाओं का मिश्रित असर हो सकता है, लेकिन ब्याज दरों में कटौती और महंगाई कम होने के संकेत हैं, जो बाजार के लिए सकारात्मक हो सकते हैं।

आरबीआई से दरों में कटौती की उम्मीद

विशेषज्ञों का अनुमान है कि फरवरी 2025 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। यह कदम महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए उठाया जा सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव और अमेरिकी डॉलर की स्थिति में बदलाव से भी भारतीय बाजार पर असर पड़ सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद अमेरिकी दरों में कटौती की संभावना जताई जा रही है, जिससे अमेरिकी मुद्रा में कमजोरियां आ सकती हैं। यह स्थिति भारतीय बाजार के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि विदेशी निवेशक फिर से भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं।

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मुनाफा वसूली और गिरावट के कारण

हालांकि, निरंतर वृद्धि के बाद भारतीय बाजार में पिछले दो महीनों में मुनाफावसूली देखने को मिली है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे इस्राइल-ईरान, रूस-यूक्रेन, और इस्राइल-फिलिस्तीन के बीच बढ़ते तनाव। इसके अलावा, कंपनियों की आय में कमी और मिडकैप और स्मॉलकैप में ऊंचे मूल्यांकन के कारण निवेशकों ने बाजार से दूरी बनाई। साथ ही, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होते रुपये ने भी विदेशी निवेशकों को प्रभावित किया है।

इस कारण, 2024-25 के लिए कंपनियों की आय में 5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की उम्मीद है। यह वृद्धि पिछले पांच वर्षों में पहली बार होगी जब कंपनियों की आय में एकल अंकों में वृद्धि होगी। हालांकि, दूसरी छमाही में सुधार की संभावना है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च में वृद्धि, शादियों का मौसम और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी हो रही है।

निफ्टी के 27,000 तक जाने की संभावना

विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 में निफ्टी 27,000 के स्तर तक पहुँच सकता है। वर्तमान में निफ्टी 23,600 के आसपास है, जिसका मतलब है कि इसमें 13 प्रतिशत की बढ़त हो सकती है। गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि अगले साल निफ्टी50 सूचकांक 27,000 के पार जा सकता है। अगले तीन महीनों में निफ्टी 24,000 के पार जा सकता है।

बाजार की तेजी के प्रमुख कारण

भारतीय शेयर बाजार की तेजी में कुछ प्रमुख कारक शामिल हो सकते हैं। सबसे पहले, महंगाई में कमी की संभावना है, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक हो सकती है। इसके अलावा, कई देशों के बीच तनाव में कमी हो सकती है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। नीतियों में बदलाव और भारत में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी बाजार में सकारात्मक माहौल बना सकती है।

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