श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की मदद के कारण ही श्रीलंका अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से उबर सका। विक्रमसिंघे ने पहली बार खुलकर यह बात कही कि पिछले दो वर्षों में, भारत की ओर से मिली 3.5 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता ने श्रीलंका को संकट से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने यह बयान ऐसे समय पर दिया जब श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखना श्रीलंका के लिए आवश्यक है और दोनों देशों के बीच रिश्ते और भी मजबूत होंगे। भारत की इस सहायता ने न केवल श्रीलंका को आर्थिक स्थिरता प्रदान की, बल्कि संकट के समय में एक मजबूत पड़ोसी का महत्व भी स्पष्ट किया।
विक्रमसिंघे ने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने संकट के समय जो समर्थन दिया, वह केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं था। भारत ने आवश्यक वस्त्रों की आपूर्ति, ईंधन और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी मदद की। इससे श्रीलंका की जनता को राहत मिली और देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर होने में सहायता मिली।
इस अवसर पर विक्रमसिंघे ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का विशेष धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह समर्थन दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने भविष्य में भी भारत के साथ घनिष्ठ सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों में वृद्धि की संभावनाएं हैं। इस साझेदारी से न केवल श्रीलंका को लाभ होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।