सरस्वती माता की आरती हमारे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्ञान, विद्या, और संगीत की देवी सरस्वती माता की पूजा हमारे जीवन में ज्ञान और सृजनशीलता का संचार करती है। आरती गाने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह आरती विशेष रूप से वसंत पंचमी के दिन गाई जाती है, लेकिन इसे रोज़ाना गाकर भी हम अपनी शिक्षा और विद्या के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। सरस्वती माता की आरती हमें यह सिखाती है कि जीवन में सच्चा सुख और शांति केवल ज्ञान के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ।
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ।
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ।
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ।
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ।
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ।
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ।
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
सरस्वती माता की आरती गाने से न केवल हमारी आत्मा को शुद्धता मिलती है, बल्कि यह हमें हर कठिनाई में सच्चा मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। यह आरती हमें हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाती है और यह प्रार्थना करती है कि देवी सरस्वती हमारे जीवन को ज्ञान, सृजनशीलता और शुभता से भर दें। आइए, अपने जीवन को ज्ञान और सृजनशीलता से उजागर करने के लिए सरस्वती माता की आरती को अपनाएं और अपनी हर शुरुआत उनके आशीर्वाद से करें। “जय सरस्वती माता, जय-जय सरस्वती माता!