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आरबीआई रिपोर्ट: उच्च ब्याज दरों के बावजूद पर्सनल लोन में लगातार वृद्धि

आरबीआई रिपोर्ट: उच्च ब्याज दरों के बावजूद पर्सनल लोन में लगातार वृद्धि
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हालिया रिपोर्ट में एक दिलचस्प ट्रेंड सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो वर्षों से उच्च ब्याज दरों के बावजूद पर्सनल लोन में लगातार वृद्धि हो रही है। खासतौर पर हाउसिंग, क्रेडिट कार्ड और शिक्षा कर्ज में 23 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।

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पर्सनल लोन का लगातार बढ़ता हुआ ट्रेंड

आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में कुल पर्सनल लोन में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान पर्सनल लोन का कुल आंकड़ा 53.31 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है। इस आंकड़े में हाउसिंग लोन, क्रेडिट कार्ड और शिक्षा कर्ज जैसे विभिन्न प्रकार के लोन शामिल हैं, जिनमें वृद्धि हुई है।

यह वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय नागरिकों का कर्ज लेने का रुझान बढ़ा है, भले ही ब्याज दरें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि आमतौर पर उच्च ब्याज दरों के दौरान लोग कर्ज लेने से कतराते हैं, लेकिन भारतीय बाजार में यह ट्रेंड उल्टा देखने को मिल रहा है।

हाउसिंग लोन में सबसे अधिक वृद्धि

हाउसिंग लोन, जो पर्सनल लोन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, मार्च 2024 तक 36 फीसदी बढ़कर 27,18,715 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। मार्च 2023 में यह आंकड़ा 19,91,164 करोड़ रुपये था। इस वृद्धि से साफ जाहिर होता है कि लोग अपनी आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं, और इसके पीछे बढ़ती संपत्ति की कीमतें और बेहतर वित्तीय सेवाएं भी एक कारण हो सकती हैं।

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हालांकि, उच्च ब्याज दरों के बावजूद, हाउसिंग लोन में इतनी बड़ी वृद्धि यह दर्शाता है कि लोग अपनी जीवनशैली और निवेश के दृष्टिकोण से घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। खासकर शहरों में, जहां मकान की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, लोग अब कर्ज लेकर अपने सपनों का घर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

क्रेडिट कार्ड बकाया में वृद्धि

वहीं, क्रेडिट कार्ड के बकाया में भी 25.6% की वृद्धि देखी गई है, और अब यह 2.57 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस वृद्धि के पीछे प्रमुख कारण क्रेडिट कार्ड के उपयोग में बढ़ोतरी और इसके द्वारा प्रदान किए गए आकर्षक ऑफर्स हो सकते हैं।

हाल के वर्षों में, डिजिटल पेमेंट्स और क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ा है, जिससे लोग अपने दैनिक खर्चों को आसानी से मैनेज कर पा रहे हैं। हालांकि, इस पर ब्याज दरें भी उच्च होती हैं, लेकिन इसके बावजूद उपभोक्ताओं का क्रेडिट कार्ड बकाया में वृद्धि ने यह साबित किया है कि क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ता जा रहा है।

शिक्षा कर्ज में बढ़ोतरी

इसके साथ ही शिक्षा कर्ज में भी 23.7% की वृद्धि हुई है, जो 1.19 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। पिछले कुछ वर्षों में, शिक्षा के लिए लिया जाने वाला कर्ज तेजी से बढ़ा है, खासकर उच्च शिक्षा और विदेशी शिक्षा के लिए। कई छात्रों ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी करियर को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा कर्ज लिया है।

विशेष रूप से, विदेश में पढ़ाई करने की इच्छाशक्ति और उच्च शिक्षा में निवेश करने की प्रवृत्ति ने शिक्षा कर्ज के आंकड़ों में वृद्धि की है। इसके अलावा, सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्र में शिक्षा कर्ज के लिए बेहतर शर्तों का होना भी इसके बढ़ने का कारण हो सकता है।

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अन्य प्रकार के पर्सनल लोन में वृद्धि

इसके अलावा, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स खरीदने के लिए लिया गया कर्ज 13.4 फीसदी, गोल्ड लोन 14.8 फीसदी और ऑटो लोन 17.4 फीसदी बढ़े हैं। इन प्रकार के लोन में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय उपभोक्ता विभिन्न उपभोग वस्तुओं और वाहन खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं।

गोल्ड लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में वृद्धि खासकर तब देखी जा रही है, जब लोग अपनी आवश्यकता और लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने के लिए कर्ज का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, ऑटो लोन में वृद्धि यह भी दर्शाती है कि भारतीय नागरिक अपनी सुविधा और परिवहन के लिए लोन लेकर वाहन खरीद रहे हैं।

फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले लिया गया कर्ज

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले लिया गया कर्ज भी 2.2 फीसदी बढ़ा है। इसका मतलब है कि लोग अपनी जमा पूंजी से ज्यादा कर्ज लेने के लिए तैयार हो रहे हैं, ताकि वे अपने अन्य वित्तीय उद्देश्यों को पूरा कर सकें।

यह एक दिलचस्प ट्रेंड है, क्योंकि आमतौर पर लोग अपनी जमा पूंजी को सुरक्षित रखना पसंद करते हैं, लेकिन अब लोग अपनी जमा पूंजी का उपयोग करने की बजाय उससे कर्ज लेने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि भारतीय उपभोक्ता अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय रूप से अधिक सक्रिय हो गए हैं।

कुल कर्ज में पर्सनल लोन का बढ़ता हिस्सा

2023-24 में कुल कर्ज में पर्सनल लोन का हिस्सा बढ़कर 27 फीसदी हो गया है, जो 2022-23 में 20 फीसदी था। इस वृद्धि ने पर्सनल लोन के महत्व को और अधिक स्पष्ट किया है। भारतीय उपभोक्ता अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जो उनके जीवन में वित्तीय निर्णय लेने के तरीके को बदल रहा है।

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कृषि और उद्योग कर्ज में भी वृद्धि

कृषि कर्ज में वृद्धि

कृषि कर्ज भी 15.4 फीसदी से बढ़कर मार्च 2024 तक 20 फीसदी हो गया है। इसका मतलब है कि कृषि क्षेत्र में भी कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है, जो किसानों को अपनी जरूरतों और उधारी को पूरा करने में मदद कर रहा है।

उद्योग कर्ज में वृद्धि

इसके साथ ही उद्योग कर्ज भी बढ़कर 8.5 फीसदी तक पहुंच गया है, जो उद्योगों की बढ़ती वित्तीय जरूरतों को दर्शाता है। उद्योगों ने अपने विस्तार और विकास के लिए अधिक कर्ज लिया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिल रही है।

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